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________________ कषाये नोकषाये वा वाञ्छा मंगलवारतः । ज्ञाने ध्याने शास्त्रवार्ताविधौ वारस्तु बोधनः ॥ ११ ॥ अन्वय-मंगलवारतः कषाये नोकषाये वा वाञ्छा। ज्ञाने ध्याने शास्त्रवार्ताविधौ तु बोधनः वारः ॥११॥ अर्थ-कषाय अथवा नोकषाय की इच्छा में मंगलवार जानना चाहिए तथा ज्ञान, ध्यान, शास्त्र श्रवण में मन की इच्छा को बुधवार जानना चाहिए। कषाय- कर्म अथवा संसार (भव) में वृद्धि करने वाला। उसे क्रषाय कहते हैं। कषाय चार प्रकार के हैं - क्रोध, मान, माया और लोभ । नोकषाय- कषायों को प्रदिप्त करने वाला। इसके नौ प्रकार हैं हास्य, रति, अरति, भय, शोक, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरुषवेद और नपुंसकवेद। देवार्चने गुरोः सम्यक् सेवने पान्थकादिवत् । परोपकारे विद्यादौ हृदि वांछा गुरूदयः ॥ १२ ॥ अन्वय-पान्थकादिवत् गुरोः सम्यक् सेवने देवार्चने परोपकारे हृदि विद्यादौ वांछा गुरूदयः॥१२॥ अर्थ-देवार्चन में, पांथक आदि की तरह गुरु की सम्यक् सेवामें, परोपकार में, हृदय की विद्या आदि की इच्छा में गुरुवार मानना चाहिए। राजन्यायेऽथ यवनाचाराध्ययनचिन्तने । स्थापनोत्थापने तीर्थयात्रायां भार्गवो हृदि ॥ १३ ॥ अन्वय-अथ राजन्याये यमनाचाराध्ययनचिन्तने स्थापनोस्थापने तीर्थयात्रायां हृदि भार्गवः ॥ १३ ॥ दिपीता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001512
Book TitleArhadgita
Original Sutra AuthorMeghvijay
AuthorSohanlal Patni
PublisherJain Sahitya Vikas Mandal
Publication Year1981
Total Pages258
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Philosophy, & Sermon
File Size16 MB
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