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________________ उदा० शब्दार्थ छाया अनुवाद वृत्ति दीर्घ तथा (मूल में दीर्घ हो तो) ह्रस्व (होता है) ! (जैसे कि) 'सि' (= प्रथमा एकवचन का 'स्' प्रत्यय) लगने पर :(१) ढोल्ला सामला धण चंपा-वण्णी । ___ नाइ सुवण्ण-रेह कसवट्टइ दिण्णी ॥ ढोल्ला (दे.) नायकः, प्रियः । सामला-श्यामलः । धण (दे.) -नायिका, प्रिया । चंपा-वण्णी-चम्पकवर्णी । नाइ-इव, यथा । सुवण्ण-रेह-सुवर्णरेखा । कसवट्टइ-कष-पट्टके । दिण्णी-दत्ता ॥ नायकः श्यामलः । नायिका चम्पकवर्णी । (दृश्येते) यथा कषपट्टके सुवर्ण-रेखा दत्ता ॥ प्रियतम श्यामवर्ण का (है जबकि) प्रिया (है) चंपकवर्ण की I (दोनों) मानों कसौटी के पत्थर पर सुवर्ण की रेखा दी गयी ( = लगी) हो (ऐसे शोभित हो रहे हैं ।) आमन्त्र्ये । संबोधन (एकवचन) में :(२) ढोल्ला मइँ तुहुँ वारिआ 'मा कर दीहा माणु । निद्दएँ गमिही रत्तडी दडवड होइ विहाणु ।। ढोल्ला (दे.)-नायक । मइँ-मया । तुहुँ-त्वम् । वारिआ-वारितः । मा-मा। करु-कुरु । दीहा-दीर्घम् । माणु-मानम् । निद्दऍ-निद्रया । गमिहीगमिष्यति । रत्तडी-रात्रिः । दहवड (दे.)-शीघ्रम् । होइ- भवति ( = भविष्यति) । विहाणु (दे.)-प्रभातम् ।। नायक, मया त्वम् वारितः 'दीर्घम् मानम् मा कुरु । (यतः) रात्रिः निद्रया गमिष्यति । शीघ्रम् प्रभातम् भवति ( = भविष्वति इति)। प्रियतम, मैंने तुम्हें बरजा (तो सही कि) ज्यादा मान मत कर ( = मान को ज्यादा पकड़ कर मत रख); (क्योंकि) निद्रा में (ही अधिकतर) रात बीत जायेगी (और) अभी भगदड़ मचाती भोर आ पहुँचेंगी । स्त्रियाम् । स्त्रीलिंग में : उदा. शब्दार्थ छाया अनुवाद वृत्ति Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001465
Book TitleApbhramsa Vyakarana Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages262
LanguageApbhramsa, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size12 MB
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