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444/3 के साथ तुलनीय :
तह झीणा तुह विरहे अणुदियहं सुंदरंग तणुयंगी ।
जह सिटिल - वलय- निवडण - भएण उन्मिय - करा भमइ ||
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( ' वज्जाला, ' 443) 'हे सुन्दर अंगवाले, तन्वंगी तुम्हारे विरह में दिनों-दिन ऐसी क्षीण हो गयी है कि ढीले वलय सरक जाने के भय से हाथ ऊँचे रखकर ही घूमती है ।'
445/3. के साथ तुलनीय :
दाहिणकरेण खगं वामेण सिरं अंतावेदिय - चलणो वाइ भडो
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घरेt निवड तं । एकमेंकस्स ॥
( ' वज्जालग्ग' 167)
नाते सिर को पकड़ते
'दाहिने हाथ से खड्ग को और बायें हाथ से लटके हैं: आँतों से लिपटे हुए चरणवाले सुभट एक-दूसरे की ओर दौड़ते हैं ।' 446. कुसुम -कय मुंडमालो यह प्रयोग 'जिनदत्ताख्यान - द्वय' (पृ. 82 ) में मिलता है ।
447/3 = 'सेतुबन्ध,' 2 / 1. 448 / 1 = 'गउडवहो,' 15.
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