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________________ 403 वृत्ति उदा० छाया 404 वृत्ति छाया अनुवाद ६४ अतां डइसः || 'अ' का डित् ऐसा 'अइस' । अपभ्रंशे यागादीनामदन्तार्ना यादृश - तादृश - कीदृशेदृशानां दादेरवयवस्यडित् 'इस' इत्यादेशो भवति । अभ्रंश में, अकारांत 'यादृश' आदि के - ( अर्थात् ) 'शहरा', 'तादृश', 'कीदृश', 'ईदृश के 'द्' से आरंभ होते अंश का डित् ऐसा 'अइस आदेश होता है । जइसो । तइसो । कइसो | अइसो । यादृशः । तादृशः । कीदृशः । ईदृश: । जैसा | तैसा । कैसा । ऐसा | यत्र-तत्रयोस्त्रस्य डिदेत्वन्तु ॥ 'यत्र', 'तत्र' के 'त्र' का डित् ऐसा 'एस्थु', 'अतु' । अपभ्रंशे यत्र - नत्र - शब्दयोस्त्रस्य 'पाथ्रु' 'अत्तु' इत्येतौ डितौ भवतः । अपभ्रंश में 'यंत्र', 'तक' इन शब्दों के 'त्र' का 'एत्थु', 'अत्तु' ऐसा डित् (आदेश) होता है । उदा० (१) जइ सो घsदि प्रयावदी जेत्थु - वित्थु - वि एथु जग शब्दार्थ केत्थु वि लेपिणु सिक्खु । भण तो तहि साखिखु ॥ इ-यदि । सो-सः । घडदि - घटयति । प्रयावदी - प्रजापतिः । केत्थु -वि-... कुत्र अपि । लेपिणु - गृहीत्वा । सिक्खु - शिक्षाम् । जेथु-त्रि-यत्र अपि । तेत्थु - वि-तत्र अपि । एत्थु - अत्र | जगि- जगति । भण-कथय । तो - ततः । तहि -तस्याः । साक्खुि - सादृश्यम् । यदि सः प्रजापतिः अत्र जगति यत्र अपि तत्र अपि कुत्र अपि शिक्षाम् गृहीत्वा घटयति, ततः अनि किं (सिध्यते) तस्याः सादृश्यम् ? भग 1 बता, यदि वह प्रजापति इस जगत में - यहाँ वहाँ से - ( अरे ) कहीं से भी शिक्षा प्राप्त करके (कोई रूप) गढ़े, तो (मं) उस (स्त्री) से साम्य : ( सिद्ध हो सकता है क्या ) ? Jain Education International उदा० (२) जन्तु ठिदो । तत्त ठिदो । छाया यत्र स्थितः । तत्र स्थितः । अनुवाद जहाँ रहा हुआ । वहाँ रहा हुआ / जहाँ स्थित | वहाँ स्थित है, For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001465
Book TitleApbhramsa Vyakarana Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1993
Total Pages262
LanguageApbhramsa, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size12 MB
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