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| 641 जेना त्रीजा अने पांचमा चरणमा रहेला चतुष्कलने स्थाने पंचकल होय एवा मत्तकरिणीछंदनुं उदाहरण :
जेत्थु गज्जहिं मत्त-करि-णिवह, रंखोलहिं जेत्थु हय, जेत्थु भिउडि-भीसण भमंति भड । तहिं तेहइ रणि वरइ, विजय-लच्छि पइं पर-समरोब्भड ॥ ३०
'जेमां मदमत्त हाथीओनो समुदाय गर्जना करे छे, घोडाओ घूमे छे, भीषण भ्रूकुटी ताणीने सुभटो भ्रमण करे छे, तेवा युद्धमां, हे शत्रुसंग्राममां वीर, मात्र तने ज विजयलक्ष्मी वरे छे ।' बहुरूपा मात्रा
जे छंदमां उपर्युक्त लक्षणवाळा मात्राप्रकारोनुं मिश्रण होय तेनुं नाम बहुरूपा। बहुरूपा मात्रानुं उदाहरण :
गाविँ पट्टणि हट्टि चउहट्टि, राउलि देउलि पुरि, जं दीसइ लडह-अंगिअ । विरहिंदजालिएण तं, सा एक्क वि कय 'बह-रूव'-कलिअ ॥३१
'ए रमणीय अंगोवाळी गाममां, पट्टनमां, बजारमां, चौटामां, राजकुळमां देवळमां, नगरमा एम (जाणे) सर्वत्र देखाय छे । एथी लागे छे के विरहरूपी जादुगरे, ते एक ज होवा छतां एने बहरूपिणी बनावी दीधी छे ।' .
नोंध :- आ उदाहरणमा पहेलुं चरण मात्रानुं छे, बीजुं चरण मत्तमधुकरीनुं छे, त्रीजुं चरण मत्तविलासिनीनुं छे, चोथु चरण मात्रानुं छे अने पांचमुं चरण मत्तकरिणीनुं छे । रड्डा के वस्तु
जो उपर्युक्त मात्राछंदना प्रकारोना त्रीजा अने पांचमा चरण प्रासबद्ध होय अने तेमनी पछी दोहक, अपदोहक के अवदोहक छंद होय तो ते रीते बनता छंदनाम रड्डा के वस्तु ।
रड्डा(वस्तु)छंदनुं उदाहरण : लुढिदु चंदण-वल्लि-पलंकि, संमिलिदु लवंग-वणि, खलिदु वत्थु-रमणीय-कयलिहिं । उच्छलिदु फणि-लयहि, घुलिदु सरल-कक्कोल-लवलिहिं ॥ चुंबिदु माहवि-वल्लरिहिं, पुलइद-कामि-सरीरु। भमर-सरिच्छउ संचरइ, 'रड्डउ' मलय-समीर ॥ ३२
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