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________________ [19] अंदरथी गळी जईने नीचे पडतां जांबूनां फळनी जेम तूटी पडे छ ।' मुखगलितक जो समगलितकनां एकी चरणोमां एक चतुष्कल अने एक त्रिकल होय, तो ते छंदनुं नाम मुखगलितक । मुखगलितकनुं उदाहरण : सयवत्तयं, ___ 'मुह-गलिअ'-महुकर-सुरहिअ-जलमलि-सय-वत्तयं । तमणंगओ, चावम्मि ठवेविणु कस्स व न हु हंत मणं गओ ॥ ६६ । 'जेमांथी झरेला पुष्कल मकरन्दने लीधे जळ सुगंधी बन्युं छे अने जे सेंकडो भ्रमरोने जीवाडनारुं छे तेवा शतदल कमळने पोताना धनुष्यनी उपर स्थापीने अहो, अनंग कोना हृदयमा प्रवेश करतो नथी ?' मालागलितक जेमां प्रत्येक चरणमां एक षट्कलनी पछी दस एवा चतुष्कल होय जेमां एकी स्थाने जगण न होय अने बेकी स्थाने जगण अथवा चार लघु होय, तथा चरणो यमकबद्ध होय, ते छंदनुं नाम मालागलितक । ___मालागलितकनुं उदाहरण : खेलिर-कामिणी-कराहय-अविरल-विअसिअ-जलरुह-'माला-गलिअ'-परायसुरहिअ-सलिलयं, तरल-तरंग-परिनच्चिर-कलहंस-मिहुणावलि-सरहस-किज्जमाण-कलयलकलिलयं । अब्भंलिह-तड-परिरूढ-बहल-बउल-तिलय-तमाल-ताली-वण-पडिहयखर-दिणयर-करयं, पिच्छ सरोवरं इममणारयं पि विज्जाहर-सुरवर-किन्नराण एवं विलासहरयं ॥६७ ___ 'क्रीडा करती कामिनीओना हाथना प्रहारथी, लगोलग विकसेलां कमळना झूडमांथी खरेला पराग वडे जेनुं जळ सुगंधी बन्युं छे, चंचळ तरंगो उपर आनंदथी नाचतां कलहंसोनां अनेक युगलो वडे उमंगथी कराता कलरवथी जे सभर छे, जेना कांठे ऊगेलां, आकाशने आंबतां पुष्कळ बकुल, तिलक, तमाल अने ताडनां वृक्षो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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