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________________ [15] तरुणीनी मणिमय कटिमेखला, व्याकुळताने लीधे जेनी गांठ ढीली थई गई छे तेवी, तेना नितंब परथी सरी जईने पगने छेडे सखत वीटळाई जईने तेनी गतिने रूंधती (पशुने पगे बंधाती) नोंझणी बनी गई छे ।' मालादामनुं उदाहरण : हंहो जुआणय तुमं मा उज्जाणम्मि भमसु भुल्लो-वि अन्नहा इत्थ फुल्लिअनवल्ल-मल्लिआवचय-कोउअ-परायणाण मय-भिभलाण कंदप्पविब्भमुब्भासिआण पोढ-महिलिआण । दूसह-कडक्ख-'माला-दामि'अ-हिअओ न नीहरसि ॥ ५६ 'हे जुवान, भूले चूके पण तुं आ उद्यानमां भमतो नहीं, नहीं तो अहीं नव मल्लिकामां रसमग्न, कामविह्वळ, विविध कामचेष्टाओ प्रगट करती प्रौढ महिलाओना असह्य कटाक्षोमां तारुं हृदय बंदी बनी जतां, तुं बहार नीकळी ज नहीं शके ।' नोंध : मात्राछंदोना मापमां जे रीते लघु अने गुरु वर्णोनी गणतरी करवामां आवे छे ते अनुसार आर्या छंदमां १९ गुरु अने १९ लघु वर्णो - एम बधी मळीने ५७ मात्रा थाय । उदाहरण : जयति विजितान्य-तेजाः सुरासुराधीश-सेवितः श्रीमान् । विमलस्त्रास-विरहितस्त्रिलोक-चिन्तामणि-वीरः ॥ ५७ 'जेनी देवेन्द्र अने असुरेन्द्र सेवा करे छे, जेमणे बीजा बधां तेजोने पराजित कर्यां छे, जे निर्मळ छे अने त्रास वगरना छे (१. निर्भय छे, २. त्रास नामना रत्नदोषथी रहित छे ।) तेवा त्रिभुवन-चिंतामणि श्रीमान् वीरजिननो जय हो !' आर्या-प्रकरण समाप्त Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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