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________________ [ 118 ] छड्डुणिका जेना प्रत्येक चरणमां सात चतुष्कल अने एक त्रिकल होय तथा दस मात्रा पछी अने आठ मात्रा पछी यति होय, ते द्विपदी- नाम छड्डणिका । छड्डणिका द्विपदीनुं उदाहरण : जा किन्नर-मिहुणिहिं, तुहु पुहइसर, पत्थुअ सुचरिअ-पद्धडिअ । ता गिरि-गुह-संधिहिं, कायर तक्खणि, हुअ रिउ-धोरणि 'छड्डुणिअ' ॥१७ ___ 'हे पृथ्वीपति, जेवू किन्नरमिथुनोए तारा सुंदर चरितोनी श्रेणीनुं (गान) शरू कर्यु, ते ज क्षणे तारा शत्रुओनी टोळी जे गिरिगुफाओना सांधामां (संताई रहेती) ते स्थान छोडीने कायरताथी नासी गई ।' स्कंधकसम जेना प्रत्येक चरणमां आठ चतुष्कल होय तथा दस मात्रा अने आठ मात्रा पछी यति होय, ते द्विपदीनुं नाम स्कंधकसम । स्कंधकसम द्विपदी, उदाहरण : नारिहुं वयणुवल्इं, सर 'खंधय-सम'-, जलहिं मज्झि मज्जंतिअहं । ओ गिण्हहिं विब्भमु, मणहर-अहिणव-, विअसिअ-सररुह-पंतिअहं ॥१८ 'सरोवरना जळमां खभा सुधी डूबीने नहाती रमणीओनां वदन, जो तो, ताजां ज खीलेलां रमणीय कमळोनी श्रेणीनी सुंदरता धरावे छे ।' मौक्तिकदाम ए स्कंधकसमना प्रत्येक चरणमां जो बार मात्रा अने आठ मात्रा पछी यति होय, तो ते द्विपदीनुं नाम मौक्तिकदाम । मौक्तिकदाम द्विपदीनुं उदाहरण : जइ तह पवयण सामिअ, हिअइ ठविज्जइ, छण-ससहर-कर-निम्मलु । ता निच्छउ अहिरावहुं, 'मुत्तिअ-दावहुँ', तरलहुं संगहु निप्फलु ॥ १९ 'हे (तीर्थंकर) प्रभु, जो तारुं पूर्णिमाना चंद्रनां किरणो जेवू निर्मळ प्रवचन हृदयमां (हृदय पर) स्थापित कराय पछी तो रमणीय झगमगती मोतीनी माळा पहेरवी निरर्थक छे ए वात नक्की ।' नवकदलीपत्र जो ए स्कंधक सम द्विपदीना प्रत्येक चरणमां चौद मात्रा अने आठ मात्रा पछी यति होय, तो ते द्विपदीनुं नाम नवकदलीपत्र । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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