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नवकदलीपत्र द्विपदीनुं उदाहरण : 'नवकयलीपत्ति 'हिं वीअणु, पत्थुउ कमलिहिं, विरइउ सत्थरउ । तह-वि हुदाहु पवड्डइ महु, सीउ उवयरणु, पिअ-सहि संवरउ ॥ २०
___'हे वहाली सखी, तें लीलां केळनां पानथी पवन नाखवा मांड्यो, कमळोनी पथारी करी, तो पण मारा शरीरनी बळतरा वधती जाय छे । तो तुं हवे शीतोपचार करवा मांडी वाळ ।' स्कंधकसमा, मौक्तिकदाम्नी, नवकदलीपत्रा
जो स्कंधकसम, मौक्तिकदाम अने नवकदलीपत्र. ए द्विपदीओना प्रत्येक चरणमां एक षट्कल, छ चतुष्कल अने एक द्विकल ए प्रमाणे मात्रागणो होय तो ए द्विपदीओनां नाम अनुक्रमे स्कंधकसमा, मौक्तिकदाम्नी अने नवलदलीपत्रा छे । यतिनो नियम मूळ प्रमाणे ज छे ।
। स्कंधकसमा द्विपदीनुं उदाहरण : गय-पत्त-परिग्गह, सुमणस-विरहिअ, फल-वज्जिअ तरु-'खंध-सम'। कंटय-परिवारिअ, गिरि-कंदर-गय, तुह रिउ वसहिं विमुक्क-कम ॥२१.१॥
___ 'हे राजवी, जेम वृक्षनुं ढूंटु पत्रसमूह विनानु, फळपुष्परहित अने कांटाथी घेरायेलुं होय छे, तेम तारा शत्रुओ हाथी, वाहनो अने अंत:पुर रहित, सज्जनोना साथ वगरना, सुखभोगे वर्जित अने दुष्टजनोथी वीटळायेला एवा, पर्वतोनी गुफामां वसे
छ।'
नोंध :- ए ज प्रमाणे बाकीना बे प्रकारनी द्विपदीओनां उदाहरणो जाणवां । आयामक
जो प्रत्येक चरणमां सात चतुष्कल होय अने एक पंचकल होय, तो ए द्विपदीनुं नाम आयामक ।
आयामक द्विपदीनुं उदाहरण : 'आयामय'-धवलत्तण-गुण-कलिए पेच्छिवि केअइ-दलि अलि विलसिरु। संभरि पिअ-नयणइं विरहज्जर-जज्जरिअ-गमणु मुज्झइ पहिउ चिरु ॥२२
'दीर्घ अने धवल एवा केतकीपत्र पर रहेला चंचळ भ्रमरने जोईने पोतानी प्रियानां नयन सांभरी आवतां विरहज्वरे जेनी गति अटकी पडी छे, तेवो प्रवासी ऊंडी मूर्छामां ढळी पडे छे ।'
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