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'हे सखी, जेणे विनय दर्शाव्यो छे एवा तारा प्रियतमने तें मनावी लीधो अने तेना बधा अपराधोने तें मधुर वार्तालापथी तिलांजली दीधी ते घणुं सारं कर्यु ।
नोंध:- आ प्रमाणे जेनां एकी चरणोमां चौद मात्रा छे तेवा त्रण पेटाप्रकारोनां उदाहरण थयां ।
हवे जेनां एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे तेवा पेटा प्रकारोनां उदाहरण । मुखपंक्ति
जेनां एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे ते मुखपंक्ति छंदनुं उदाहरण :
पर-नरमुह-पेच्छण-विरयए, पय-नह-मणि-पडिबिंबिअ जि परि । दहमुह-'मुह-पंति' पलोइआ सीअइ भय-विम्हय-हास-करि ॥ ५६
___ 'जे परपुरुषनी सामे कदी जोती नथी तेवी सीताए मात्र पोताना चरणना मणि जेवा नखोमां जेनुं प्रतिबिंब पड्युं छे तेवी रावणना दस मुखोनी श्रेणी जोई, अने ते भय, विस्मय अने हास्यना भाव अनुभवी रही' । कुसुमलतागृह
जेनां एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते कुसुमलतागृह छंद, उदाहरण :
जलइ जइ वि 'कुसुमलयाहरु, तवइ चंदु जह गिम्हि दिवायरु। तु-वि इसा-भर-परितरलिअ, पिअ-सहिययणु न मन्त्रइ बालिअ ॥५७
___ 'पुष्पलतानो कुंज तेने दाह करे छे अने ग्रीष्मना सूर्यनी जेम चंद्र ताप करे छे, तो पण ईर्षाना भारे जेनुं मन अस्थिर बन्युं छे तेवी आ मुग्धा पोतानी वहाली सखीओ, कडं मानती नथी ।'
___ नोंध :- आ प्रमाणे जेनां एकी चरणोमां पंदर मात्रा छे तेवा बे पेटाप्रकारोनां उदाहरण थयां ।
___हवे जेनां एकी चरणोमां सोळ मात्रा छे तेवा एक पेटाप्रकारनुं उदाहरण : रत्नमाला
जेनां एकी चरणोमां सोळ मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे ते रत्नमाला छंदनुं उदाहरण :
करवाल-पहारिण उच्छलिअ, करि-सिर-मुत्ताहल-'रयण-माल' । रेहइ समरंगणि जय-सिरिए, उक्खिविअ नाइ सयंवर-माल ॥ ५८
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