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कामिनीकंकणहस्तक छंद- उदाहरण :
कवणु सु धन्नउ जिण विणु, 'कामिणी-कंकण हत्थउ' विअलहिं । अन्न कि एवँइ ससि-मुहि, हिंडइ उन्नमिइहिं कर-कमलिहिं ॥ ५२
'एवो कोण ए धन्य छ जेना विरहे आ सुंदरीना हाथमांथी कंकण सरी पडे छे ? नहीं तो ते चंद्रमुखी शुं अमस्ती ज पोतानां करकमळ ऊंचां राखीने हरे फरे
छे ?'
नोंध :- ए प्रमाणे जेनां एकी चरणोमां तेर मात्रा छे एवा चार पेटा प्रकारनां उदाहरण थयां ।
हवे जेनां चरणोमां चौद मात्र छे तेवा पेटाप्रकारोनां उदाहरण ।
जेनां एकी चरणोमां चौद मात्रा छे अने बेकी चरणोमां पंदर मात्रा छे ते मुखपालनतिलक छंदनुं उदाहरण : मुखपालनतिलक
इह माहवि वम्मह-निलय, मलयानिल-हल्लिर-किसलय ।
ओ दीसहि कुसुमाउलय, कामिणिहु 'मुहवालण तिलय' ॥५३
'जुओ, आ वसंतऋतुमां कामदेवना आवासरूप, जेमनी कुंपळो मलयपवनथी फरके छे, जेने डोक पाछी वाळीने सुंदरीओ जोया करे छे, एवा पुष्पसभर तिलकतरुओ देखाय छे ।' वसंतलेखा
जेनां एकी चरणोमां चौद मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे ते वसंतलेखा छंदनुं उदाहरण :
कुविदो मयणो महाभडो, वणलच्छी अ 'वसंतरेहिआ'। कह जीवउ मामि विरहिणी, मिउ-मलयानिल-फंस-मोहिआ ॥ ५८
'ज्यारे कामदेवरूपी मोटो सुभट कोप्यो छे, वनलक्ष्मी वसंतनी शोभा धरी रही छे, तेवे समये हे सखी, मलयपवनथी मूर्छित बनेली आ विरहिणी केम जीवशे?' मधुरालापिनीहस्त । . जेनां एकी चरणोमां चौद मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे मधुरालापिनीहस्त छंद, उदाहरण :
सुन्दरु तं किउ एउं सहि, पिउ जं मनिउ विणय-निसण्णउ । तसु अवराहहं सव्वहं वि, 'महुरालाविणि हत्थु' विइण्णउ ॥ ५५
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