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पेक्खिऊण गयणयलि, नव - 'जलहर - विलसिअ' चल-विज्जुल । संभरति निअपिअहं, पहिअदइअ गलिअंसुअ - कज्जल ॥ ४८
'आकाशमां नवा मेघनी वच्चे विलसती चंचळ वीजळीने जोईने प्रवासे गयेला पतिओनी पत्नीओ अश्रुजळ वरसावती पोताना प्रियतमने संभारे छे' । नोंध :- ए प्रमाणे एकी चरणोमां बार मात्रावाळा पांच पेटाप्रकारोनां उदाहरण थयां ।
हवे एकी चरणोमां तेर मात्रावाळां पेटाप्रकारोनां उदाहरण । अभिनवमृगांकलेखा
जेनां एकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने बेकी चरणोमां चौद मात्रा छे ते अभिनवमृगांकलेखा छंदनुं उदाहरण :
नहयल - वराह- दाढिआ, वारुणि-वहूइ णिडालिआ । 'अहिणव- मिअंक-लेहिआ', उप्पड़ पीइ निहालिआ ॥ ४९
'आ हमणां ज ऊगेली चंद्रलेखा, नभरूपी वराहनी दाढ जेवी, अथवा तो पश्चिम - दिशा - सुंदरीना भाल परना तिलक जेवी, जोतां ज प्रीति प्रगटावे छे । सहकारकुसुममंजरी
जेनां एकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने बेकी चरणोमां पंदर मात्रा छे ते सहकारकुसुममंजरी छंदनुं उदाहरण :
'सहयार- कुसुममंजरी',
वण-लच्छि - कणय-रसणिआ, कुसुमाउह - विजय - पडाइआ । अह महु- सम्एण पयडिआ ।। ५० 'जुओ तो, वनलक्ष्मीनी सोनानी कटिमेखला जेवी, अथवा तो कामदेवनी विजयपताका जेवी, वसंतऋतुमां विकसेली आ आम्रमंजरी शोभे छे ।' कामिनीक्रीडनक
जेनां एकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे ते कामिनीक्रीडनक छंदनुं उदाहरण :
नह- लच्छि भाल- तिलअओ, दिसि - 'कामिणि- कीलण' - गंडुअओ । रेहड़ पुण्ण - मयंकओ, मयणाहिसेअ- अमय - कलसओ ॥ ५१
'आ पूर्णचंद्र नभलक्ष्मीना भाल उपरना तिलक जेवो, दिशासुंदरीना क्रीडाकंदुक जेवो, कामदेवना अभिषेक माटेना अमृतकळश जेवो शोभे छे ।' कामिनीकंकणहस्तक
जेनां एकी चरणोमां तेर मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्रा छेते
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