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पुण्यामलक
जेनां एकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सोळ मात्रा छे तेवा पुण्यामलक छंद- उदाहरण :
मई असरण तुहुं, अइ-निद्दय नडसि कुसुमाउह । जं किर 'पुण्णा, मलय'-समीरिण सयल वि कउह ॥ २१
'हे अतिशय निर्दय कुसुमायुध, अत्यारे ज्यारे बधी दिशाओने मलयपवने जाणे के भरी दीधी छे त्यारे तुं अशरण एवी मने त्रास आपी रह्यो छे ।' नवकुसुमितपल्लव
जेनां एकी चरणोमां आठ मात्रा छे अने बेकी चरणोमां सत्तर मात्रा छे तेवा नवकुसुमितपल्लव छंदनुं उदाहरण :
कंपिअ निअवि, 'नव-कुसुमिअ-पल्लव' सललिअ लय । संभरि दइअ, पंथिअ-सत्थ तक्खणि गय विलय ॥ २२
_ 'जेनां पर्णो उपर नवां पुष्पो खील्यां छे तेवी ललित लताने कंपती जोईने, पोतानी प्रियतमा- स्मरण थतां तरत ज पथिको मरणशरण थया ।'
नोंध :- आ प्रमाणे एकी चरणोमां आठ मात्रावाळा नव पेटाप्रकारोनां उदाहरण आप्यां छे।
हवे जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे तेवा पेटाप्रकारोनां उदाहरण : मलयमारुत
जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे अने बेकी चरणोमां दस मात्रा छे तेवा मलयमारुत छंद- उदाहरण :
देक्खिवि वेल्लडी, 'मलय-मारुअञ-धुआ । सुमरिवि गोरडी, पंथिअ-सत्थ मुआ ॥ २३
'मलयपवने कंपित थती वेलडीने जोईने गोरी सांभरी आवतां पथिको मरणशरण थया ।' मदनावास
जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे अने बेकी चरणोमां अगियार मात्रा छे तेवा मदनावास छंदनुं उदाहरण :
जं धण-लोअण, झस-झय-चल दीसहिं । 'मयणावासउ', तं थण-गुड्डुरि सई ॥ २४
'आ रमणीनां नयनो, कामदेवना मकरध्वज समां, चंचळ देखाय छे तेथी
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