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________________ [ 84 ] लागे छे के तेना स्तनरूपी तंबूमां साक्षात् कामदेवे निवास कर्यो छे मांगलिका जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे अने बेकी चरणोमां बार मात्रा छे तेवा मांगलिका छंदनुं उदाहरण : प्रियअ - महु- संगमि, उअ 'मंगलिअ 'ई करइ । वणसिरि घट्ट धरइ ॥ २५ किंसुअरूविण, 'जो, आ वनश्री पोताना प्रियतम वसंतना संगमां मांगलिक विधि करे छे : तेणे सूडां रूपे घाटडी (कसुंबल वस्त्र ) पहेरी छे ।' अभिसारिका जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे अने बेकी चरणोमां तेर मात्रा छे तेवा अभिसारिका छंदनुं उदाहरण : काली रत्तडी, घणिहिं नहंगणु रुद्धउं । तो- वि न वट्टहिं, 'अहिसारिअ 'जणु खुद्धउ ॥ २६ 'रात घोर अंधारी (काळी) छे, आकाशनो पट वादळोथी ढंकाई गयो छे, तो पण रस्ते जतां अभिसारिकाओ गभराती नथी ।' कुसुमनिरंतर जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे अने बेकी चरणोमां चौद मात्रा छे तेवा कुसुमनिरंतर छंदनुं उदाहरण : सिद्धत्थ पुलय, 'कुसुम निरंतर' हसिउ सिउ । नव-दइआगमि, अंगि जि मंगलु धणइ किउ ॥ २७ 'रोमांच थवाथी रूंवाडा ऊभां थयां (पुलकित थई) ए ज सिद्धार्थ (मंगल विधि माटेना सरसव ) अने श्वेत ( उज्ज्वळ ) निरंतर हास्य ए ज पुष्पो : प्रियाए प्रियतमना प्रथम आगमने पोताना अंगथी ज मंगळविधि कर्यो ।' मदनोदय जेनां एकी चरणोमां नव मात्रा छे अने बेकी चरणोमां पंदर मात्रा छे तेवा मदनोदय छंदनुं उदाहरण : घणरव दूसहा, दूहवइ 'मयणोदउ' हिअउ । पिअ - दूर - द्विआ, पवसिअ - रमणिअणु कह जिउ ॥ २८ 'मेघनी गर्जना दुःसह छे, मदननो उदय हृदयने पीडे छे, प्रियतम दूर रहेलो छे, प्रवासीओनी पत्नीओ कई रीते जीवतर टकावी शके ?' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001454
Book TitleChhandonushasan
Original Sutra AuthorHemchandracharya
AuthorH C Bhayani
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages204
LanguagePrakrit, Apabhramsha, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size9 MB
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