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छिंद
शब्दकोश
[१३६ चित्तण्णु-चित्तज्ञ (=मनकी बात जाननेवाला) ३.६.३।
भ० प्र० ब० छड्डीसहुँ ८.१४.६ चित्तदंड--चित्रदण्ड (= एक आयुध ) १०.६.४, ११.७.३
भू० कृ० छंडिय ६.१८.. चित्तसिल-चित्रशिला (=खर पृथिवीका एक भाग) १६.२.७ छंद-त स १.३.५, ६.७.१ चित्तिय--चित्रित १४.११..
छ-षट् ३.६.२,६.१.४,१७.३.७ चिरहिल्लि-(= चिरहौलका वृक्ष) १४.२.६
छक्खं ड-षट् खंड ६.१.१३;६.५.१ चिराउस-चिरायुस् ६.१.२; १५.५.१०
छक्खंडणाह-पखंढनाह (= चक्रवर्ती) ६.४.२ चिरु-चिरम् १.२१.१२, ३.६.१०
छज्जीव-षट् जीव (=पृथ्वी कायिक आदि छह जीव) ३.६.२ कचिलसावणउ-=ग्लानि उत्पादक ) २.११.१०
छ?-षष्ठम ६.५.८;६.१५.१०,७.५.३.१३.७.६,१७.१६.६ -चिलिसावणउ ४,१२.९
छट्टट्ठम-पष्ट+अष्टम ३.१.४.१.५ चिहुर--चिकुर १.१.३, ५.२.३
छडउ.-छटा (=पानीका छींटा?).95.83१३.४.३ Vचुंब-चुम्ब (=चूमना)
छणचंद-क्षणचंद्र (=शरद ऋतुकी पूर्णमासीका चन्द्रमा वर्त० तृ० ए० चुम्बइ १.१.४ . -चुम-वर्त० प्र० ए० चुमेमि १४.१४.८
छण्ण-छन्न (= आच्छादित) ३.१४.३;१०.१०.२,१५.८.६ BV चुक्क-(भ्रष्ट हे० ४.११. = चूकना)
छण्णवइ-पण्णवति ६.३.१६.३.१० वर्त० तृ० ए० चुक्कइ-२.१३.१४;
छत्त-छत्र ६.१४.७ भू० कु. चुक्क-१.१.७,१.११.८२.६.२,३.२.११ छत्तत्तय-छत्रत्रय १५.८.२ ।। चुणचुण्ण-चूर्णचूर्ण ५.१२.१२; ११.५.१६
छत्तायार-छत्राकार १६.३.६ चूडामणि-त स ४.४.७
छत्तीस-षट् त्रिंशत् (= छत्तीस ) ६.७.१० 'चूर- चूर करनेवाला ) ११.१.६
छदव्व-षट् द्रव्य १४.३.६ Vचूर-चूर्णय (-चूर चूर करना)
छद्दिय-छादित १३.७.३ वत० तृ० ए० चूरइ ५.८.१०
छप्पय-षट्पद ( = भौंरा हे. २.७७) १.५.५. भू. कृ. चूरिय १३.१२.४ पू. कृ. चूरिवि ३.१४.११,११.१०.१४
छल-तस (=कपट) ११.११.४,१३.१६.३ क्रि० कृ० चूरणहं १४.२८.४
Vछल-छलय (=छकाना) चूव-चूत (= आम्रवृक्ष) १३.४.१.१३.४.१०
वर्त० तृ० ए० छलइ १२.१२.७ /चेय-चेतय (= जानना)
भू० कृ० छलिय ५.४.६ वर्त० तृ० ए० चेयइ ३.१५.४
छव्विह-षड् विध १४.३०.४ चेयण-चेतना ११.१२.१०
छव्वीस-पड्विंशति (= छब्बीस) १७.१६.१४ -चेयणा ११.३.१२
Vछाय-छादय (= आच्छादित करना) /चोअ-चोदय् (= प्रेरित करना)
कर्म० वर्त० तृ. ए. छाइज्जइ ६.१६.२ भू० कृ० चोड्य ११.३.६.
भू० कृ० छाइय ६.१२.१२;८.१४.११,११.५.१६ चोअय-चोदक (=प्रेरित करनेवाला ) ६.१६.१३
छाय-छाया (=कांति ) १.१६.४.१०.१२.६,१४.२०.. कैचोंटाविय-(संभवतः चुंट धातुका प्रेरणार्थक भूतकालिक छायागारउ-छाया + आकार+क (=छायाके समान अस्थिर)
कृदन्त है। जिसे चिमटी लिवाई गई हो)४.१२.६ *चोज्ज-(=आश्चर्य; दे. ना० ३.१४.) ५.१.११,१४.५.५
छायाल–पटचत्वारिंशत् (=छयालीस ) ७.५.६ चोर-त स १.५.२;७.१.१११८.२१.५
छासट्ठि-षड्षष्टि (=छयासठ ) १७.१६.१३ चोवाण-च्यवान (?) (=तेज; चपल) ६.३.६
छिकिय-(छींक कर ) १७.६.३ । च्चुय-च्युत ७.६.५
Vछिंद-छिद् (=काटना)
वर्त० तृ. ए. छिदइ ११.८.२३ */छंड, Vछडु-(=मुच = छोड़ना हे० ४.११)
वर्त० तृ० ब० छिदंति ३.८.९ वर्त० तृ० ए० छंडइ १५.६.४
कर्म० वर्त० तृ० ए० छिज्जइ ३.३.६; वि० द्वि० ए० छंडिजहि ४.६.२
३.६.५११.१२.७,१४.७.११
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