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________________ १३८ ] चड - (आ+ रुह = चढ़ना; हे. ४.२०६ ) भू० कृ० चडिय १०.१२.१ प्रे० भू० कृ० चडाविय १.१८.६ चत्त-श्यक्त १.१.६; १.२२.५ स्त्री०चत्ती १२.११.३ चमरचामर १४.१२.१४ चमु - ( = सेनाका एक भाग ) १२.५.१० चम्म - चर्म १३.१०.८ चम्मरयण - चर्मर V पयस्य ( हे० ४.८६ ) - १४ नोंमें एक ) ५.४.४ भू० कृ० चत्त- १२.२.७ मू० कृ० चरवि १.११.१२.७.५ १.१०.१२ चयारि - ( = चार ) ३.१५.२, ४. १. ६; ६.६.२; ११.११.१०; १५.७.२ V चर - चर् (= १ भक्षण करना ) वर्त० तृ० ए० चरइ १.२२.२ ( = २ आचरण करना ) वि० द्वि० ए० ४.१.४ वि० द्वि० ब० २.१०.७ Jain Education International पार्श्वनाथचरित चरम - त स ( = अंतिम ) चरमसरीर परमशरीर (जिसने अंतिम बार शरीर धारण किया है इसी जन्म में मोच पाने वाला) ५.१०.८,१२,११,१२ चरण - स ( = पैर ) २.१.८ चरण - त स ( = संयम ) १४.३०.८ चरितचरित्र (आचरण) 1.१.५ २.४.६ चरिमदेह (चरमशरीरका ) १.८.२ चरिय-चरित ( = आचरण ) ६.१.२ चल स्थिर) १.१.५.१.२.१०.७ V चल - चल् ( = चलना ) = वर्त० तृ० ए० चलइ ४.७.३ भू० कृ० चलिय १.११.१० ( = विचलित होना ) ८.१२.२ चल चलना हे० ४.२३१) कर्म ० ० वर्तο तृ० ए० चल्लेजइ १४.७.१ वर्त० कृ० चलंत १०.५.१ भू० कृ० चल्लिय १०.१.२; १२.१.२ चलण― चरण १.१४.२,३.३.६,५.३.६६.११.१० *चव - कथ् ( कहना० हे० ४ २ . ) वर्त० तृ० ए० चवेइ ३.६.५ वर्त० तृ० ब० चवंति १.४.६ २.८.३ ३.५.३ १३.१८.२ Vचव - ( च्यु = १ जन्मान्तर पाना ) भू० कृ० चविय ५.१.१ भू० क० चविवि ५.३.२ ( छोड़ना वेणु ३.४.५ चवणकाल - च्यवन काल ( = जन्मांतर पानेका समय) १.५.७; १४.६.४ चवल - चपल ५.६.३, ६.१०.४, १३.१२.६ चाउरंग - (बल) चतुरंग ( = चतुरंगिणी सेना ६.६.४ चाउहाण ( चौहान; प्रसिद्ध राजवंश) १.७.८ = चाणक— चाणक्य २.१.४, ६.६.५ चामर - त स ( = चंवर) १४.२.२ चामीयर चामीकर] १.०.५१०.५.२१२.६.० चाय -त्याग १.८.१०७.५.४ चार-चार (चा) १.१२.३ = चारद्धि-पारभटी (शीर्ष) १.१६.२२.५.६१४.८३ चारित (पास) ६.१२.११ चारित्वारि (चार) २.११.११५.०.१ चारु-तस (= शोभन ) २.६.६; ६.१.६; ८.२०.१२ चारुवेसा-चापा (शोभन येप वाली ०.१.६ चारुसोह-- चारुशोभ ( = जिनकी शोभा आकर्षक हो ) ८.१६.६ चालीस-त्वारिंशत् पाठीस ८.१७.२,१६.१३.० चाव-चाप (= धनुष ) १०.६.५; १७.११.१ चावडा - ( = एक राजवंश ) ६.४.१० चावविज्जा -- चापविद्या ११.६.१२ = चिंत -- चिंता १.१३.५; १०.२.५; १५.२.१ V चिंत-- चिन्त् (= चिन्ता करना; चिन्तन करना ) वर्त० तृ० ए० चिन्तइ ३. १५.७; वत० कृ० चिंतंत १.१३.४; भू० कृ० चिंतेवि २.३.१; क्रि० कृ० चितणहं ३.१५.५ [ चड V चिंतय-चिन्त् (सोचना डा० भावाणीने इसे धातुका प्रेरणार्थक रूप माना है ) वर्त० प्र० ए० चिंतवेमि १४.१०.४; वर्त० तृ० ब० चिंतवंति १.४.६, प्रे० भू० कृ० चिंताविय १४.१२.३ चिपचिह्न ( ० २.५० ) ६.१४.७ १०.७.५ चिष्ण-- (किया) १७.२०.३० --- = चित्त - ( = चीता = एक जंगली पशु ) ७.६.६ चित्त-तस ( मन ) १.२.८ १.११.१२; ३.१२.२ चित्त - चित्र १२.६.५; १४.११.७ चित्तत्तभो (१) ११.३.११ चित्तकम्म-चित्रकर्मकारी) १२.१.८ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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