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________________ शब्दकोश १३३ खीरहरिय] कोरंट्ट-(=एक वृक्ष) १४२.८ कोल-त स (= शूकर ) २.१२.४; १५.४.५ कोलाहल-त स ३.१४.३ ८.७.५ कोसंबिकौशाम्बी ( नगरी) १७.१२.३ कोसल-त. स. ११.५.१० कोह-क्रोध १.१७.५; १.२०.२, ७.१.३; १३.१२.१३ कोह-कोध ( = संडाद ) ५.१२.७ कोहाणल-क्रोध + अनल २.११.१, ५.१०.१; १.११.१ खयकारय-क्षयकारक ८.११.१. खर-त स (=प्रखर ) ६.१०.३ (= निष्ठुर ) ५.१२.. खर-त स ( = गर्दभ ) २.१२.५,६.१०.१२,१५.४.७ खरपुहवि-खरपृथिवी (= रत्नप्रभा पृथिवीका पहिला भाग) खइर-खदिर १४.२.२ खंड-तस (-टुकड़ा) ४.३.१०,११.३.१४. 'खंड-(= खांड; शक्कर ) ८.१.७ Vखंड-खण्डय वर्त० कृ. खंडंत ११.१.५ भू. कृ. खंडिया १२.६.५ , Vखंत-क्षम् (=पमा करना) वि० कृ० खन्तडं २.१५.३ खंति-ज्ञान्ति १.१.४ खंभ-स्तम्भ १.१.११८.६.२ खग-खड्ग (=गेडा) २.१२.६,१४.१७.४ खगवइ-खगपति (=गरुड) १२.१४.५ खग्ग-खड्ग (= तलवार ) ६.१४.३,११.४.१४ खग्गधारि-खड्गधारिन् ६.७.६ खग्गलट्ठि-खड्गयष्टि १२.१५.८. खज्जूर-खर्जूर १४.२.५ खडिय-खटिका (= खलिया मिट्टी ) २.२.३ खण-क्षण १.१३.३ (बहुशः) खणंतर-क्षणांतर ११.११.१० खणद्ध-क्षणार्ध १४.२८.६ *खद्ध-(= खाया हुआ; दे० ना० २.६७) ४.३.६ खम-क्षमा १.२१.११७.८.१०:१४.२३.११ खम-क्षम (= समर्थ) ४.७.६ -खव-उ १०.८.६ Vखम-क्षम् वि० तृ. ब. खमिजहुँ २.४.६ प्रे० वर्त० तृ० ए० खमावइ १.२२.१ खमावण-क्षमणा (= क्षमामाँगना) २.४.११ खय-क्षय १.२.३,१.२३.८,३.१.८,४.६.५ Vखय-क्षय (= क्षय करना) वर्त० कृ० खयंत १२.१४.३ खयंकर-क्षयंकर (=जयकारी) ५.७.३,५.१.३; ११.११.३,१६.१२.६ खरफरुस-खरपरुष ६.१०.४ खल-त स (१ = दुर्जन ) १.४.४,१.१४.६ (२% बुरा) १०.१०.१० खल खल खलंत-(भउर ) ८.११.८. Vखल-खल वर्त० तृ० ए० खलइ ६.११.६ भू० कृ० खलिय १.७.७. खलत्तण-खलव ५.६.६ खवण-क्षपण ७.५.४ खवलिय- ( = चर्चित ) ८.२३." Vखव-क्षपय् भू. क. खविय १.२.१,३.१६... खाइय १.८.५ खस-त स ( भारतके उत्तरका एक पहाड़ी देश) १.४.५; ११.४.१० खा-खाद् वर्त० तृ० ए० खाइ १०.३.५ खाण-खादन १.१३.११७३.५.४६.६.१२,६.१३.७ खाणि-खानि ३.५.४ खास-कास (= खाँसीका रोग) २.१३.७,३.८.८ Vखिव-क्षिप् वर्त० तृ० ए० खिवइ १.२२.४ वर्त० तृ. ब. खिवहिं ६.११.११८.१६.४ वर्त० कृ० खिवंत ६.१०.६,११.२.११,१२.११.१३ भू. कृ. खित्त ११.२.६११.५.१३ खिणु-क्षणम् ३.१५.५ खित्त-क्षेत्र ४.४.१ खिदि-क्षिति ४.८.१० खीण-क्षीण १.१.३,२.१३.२,४.१.१३,६.१०.२ खीणिंदिय-क्षीणेन्द्रिय ७.१०.२ 'खीर-क्षीर १६.३.६ खीर-(एक वन ) ७.८.१;७.६.१ खीरसमुद्द-धीरसमुद्र ८.१६.२ खीरहरिय-क्षीरहारिन् (=दूध लानेवाला )६.७.८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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