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________________ कंत] शब्दकोश [१२७ ओ ऊण-न्यून १७.१६.१४ ओट्ट-ओष्ट ११.१.१३,१२.१५.१ ओढण-( = वस्त्र हे० १.१५५) ६.१३.७ Vओणव-अव + नम् Vए-इ (= गमन करना) भू. कृ. ओणय १२.६.१६ वर्त० तृ० ए० एइ ५.१०.२ प्रे. भू. कृ० ओणामिय १.५.३,२.१५.५ वत० तृ. ब. एंति ६.८.११ *Vओत्थर-देखो उत्थर = आक्रमण करना वर्त० कृ० एंत ४.२.८,१२.३.८ वत० कृ० ओत्थरंत १.१८.५ पू०० एइ १२.५.४ भू० कृ० ओत्थरिय १४.२६.१ ओमग-अवमार्ग १४.२३.६ एकवीस-एकविंशति १२.५.१ ओराली-( = दीर्घ ध्वनि, दे० ना. ओरल्ली १.१५४ ) एक्क-एक १.६.८१.११.५,१३.१०.५. १२.१.६,१२.२.६ एक्कत--एकांत १.१४.४. ओलंबिय-अवलम्बित (= लटाकाया हुआ) १४.३.३ एक्कट्टए-एक स्थ ( = एक स्थान पर ) १३.१५.१२ ओलग्ग-अवलग्न १५.११.११:१८.१२.२ एक्कल- एकाकी ( = अकेला ) ११.७.१८:१२.४.५. ओल्लिय-आदित १२.२.७ एक्कासण-एक + आसन १.१४.७ ओवाय-उपाय १.११.५ एक्काहिय-एक+ अधिक १६.६.७ ओवासय-उपासकाध्ययन (सातवाँ श्रृतांग) ७.२.५ एकदिय-एकेन्द्रिय १६.२.१० ओसह-औषध ३.६.२,३.१६.३;६.२.६ एक्कक्क-एकक ७.४.८; १२.५.३,१६.१२.२. ओह-ओघ १.८.१२,१५.४.७ एत्तिय-इयत् (हे०२.१५७) २.६.८१४.७.६ ओहामिय-अधमित (= तिरस्कृत हे. ४.२५ ) १४.४.६ एत्थ-अत्र (हे - ४.४०५) १.२.४ एत्थंतरि-अत्रान्तरे ( = इसी समय ) १.११.२,२.११.१. (बहुशः ) क-क (= कोई ) १२.३.७,१२.१८.८; १.२.२;८.१८.२; एम-एवम् १.१५.७,१.१०.१०.३.५.१०.३.१३.५ १.१२.११:१.५.३,१.१५.८७.१३.२ एमइ-एवमेव या एवम् + अपि १.४.१,१४.८.४ कई-कवि १.६.२ एयचित्त-एकचित्त १.८.८,१.१४.५,४.११.५ कई-कवि १.३.८ एयछत्त-एकछत्र १.८.४,२.१.७:२.१.१६;६.२.११ कइत्त-कवित्व १.६.२,१८.१२.८ एयभत्त-एकभक्त ( = एक बार भोजन ) ४.८.६ कउ-(?) (=सिंहकी दहाड़ ) १०.३.६ एयमण-एक्मनाः ३.४.३ *कउसीस-(= मन्दिर आदिका शिखर ) १.६.२ एयोरह-एकादश १३.६.२,१७.७.६ करह-ककुभ (= एक वृक्ष) १४.२.. एयारहम-एकादशम ७.२.८ कंकण-त स ८.२२.२ एरावय-ऐरावत ( =जंबूद्वीपका एक क्षेत्र ) १६.११.१२,१६. कंकालिय-(१) कंकाली देवी के भक्त १०.१०.३ Vकंख-काङ्क्ष(= चाहना) एरिस-ईदृश ६.६.४६.६.१६;६.१०.६,१२.१.६;१४.४.७ वर्त० कृ. कंखंत १७.२१.६ एवड-इयत् १.१४.१०२.१६.३१३.१५.७:१३.१६.५ भू० कृ० कंखिय ६.४.६ एवइ-इयत् १.२१.१२ कंचण-काञ्चन (= एक वृक्ष ) १४.२.४ एवमाइ-एवमादि १.३.७ कंचणमय-(=स्वर्णमय ) ८.१६.३ एवंविह-एवं विध २.४.६ कंचणार-(=कचनारका वृक्ष) १४.२.८ एवहिं-इदानीम् २.२.६;३.६.१,४.५.१८ (बहुशः) कंचु-कंचुक १.१३.१०।। एवि-देवि ८.७.१८.१५.८ कंटइय-कंटकित १०.६.१ एह-एतत् १.२०.८१.४.११.११.३,१५.१०.४२.२.८,२.२.४; कंठी-(= कंठमें पहिननेको माला ) ७.१३.८ २.१०.२,३.१०.५. कंत-कांता १.१३.१३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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