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________________ [ कंति १२८ पार्श्वनाथचरित कंति-कांति १.८.१,२.३.२, ६.३.१० कणिट्ठ-कनिष्ट १.११.७ कंथारि-कंथारी (=करोंदाका वृक्ष) १४.२.६ कणियार-कर्णिकार (=कन्हेरका वृक्ष ) १४.२.२ कंद-त स (=मूल ) १३.६.१०,१५.६.३ कणीर-कर्णिकार (= कन्हेरका वृक्ष) १४.२.१० कंदप्प-कंदर्प ५.२.८८.१४.३ कण्ण -कर्ण १.१४.१३; २.११.६.; २.१२.३; ३.१०.६; कंदर-कंदरा ७.७.६.१७.१.४. ८.२२.१ * कंदल-(= कपाल, दे० ना०२.४ ) १७.८.४ कण्ण-कन्याराशि १३.७.७ कंदलि-कन्दली (=नया प्ररोह ) ४.४.८ कण्ण-कन्या १३.५.६ *कंदोट्ट-(= नील कमल दे० ना० २.१)१४. २.४ कण्णउज-कान्यकुब्ज ( = कन्नौज) १०.१३.७ /कंप-त स कम्प कण्णउज्ज-कान्यकुब्ज ११.६.१० वर्त कृ कंपंत १.४.६ कण्णट्ठिय-कर्ण + अ + भू. कृ० (= कानतक खींचे गये) कंप-त स कम्प ८.३.१ कंपिल्ल-कंपिला १७.१२.६ कण्णाड-कर्नाट (=प्रदेश ) ११.५.१० कंसाल-कांस्य + ताल (= एक वाद्य) ८.७.५ कण्णाड-कर्नाट (= कर्नाटकका निवासी ) ११.६.३ ककर-कर्कर (=पर्वतशिखर ) १६.८.६ कण्ह-कृष्ण (= श्रीकृष्ण ) १.६.६; १७.२१.४ कच्छ-त स कच्छ (= एक प्रदेश ) ११.५.१० काणण-कानन ३.१.६ कच्छ-(?) कच्छप १४.१६.३ कत्थूरी-कस्तूरी ६.११.१२ कच्छाहिव-कच्छाधिप (=कच्छका स्वामी, १.४.१० कद्दम-कर्दम (= कीचड़ ) ४.१.१२, ४.१.१४ कन्जल-त स ६.११.१३ कप्प--कल्प (= अनुष्ठान ) ३.१६.७ कन्ज-कार्य १०.१.६ कप्प-कल्प (=स्वर्ग) ४.३.४ कन्जेग-जै-कृते १.४.१,२.३.६;३.७.४ कप्पद्रुम-कल्पद्रुम ११.५.६; १२.७.५ कट्ठ-काष्ट २.६.३,१३.११.२ कप्पयरु-कल्पतरु १८.५.५ कट्टण-कर्पण १२.१३.१३ कप्पामरिंद-कल्पामरेन्द्र ८.१७.८ कट्ठाल-कष्टाल (= कष्टकारी)३.१४.६ Vकप्प-(?)=काटना कडच्छ-कटाक्ष ६.११.६ भू० कृ० कप्पिय-११.७.१२, कडवय-कडवक १८.२०.२ कम-( पर) ५.६.१०, ५.१२.१०,७.१०.१२ कडाह-कटाह (=कडाही) २.११.७ कम-क्रम १.१४.१, ३.१.१०; १८.३.३ कडि-कटि ८.२२.२ Vकम-क्रम (=लाँघना) कडिसुत्त-कटिसूत्र ८.२२.२ वर्त० तृ. ए. कमइ १२.१२.६ कडियल-कटितल ५.३.६ वर्त० कृ० कमंत १.२१.३; ८.१५.८ BV कडू-कृष् ( = खींचना हे० ४.१८७) पू० कृ० कमेवि ८.१६.२; भू० कृ० कङ्क्रिय ६.१४.४.११.२.१ कमढ-कमठ १.१०.७ ( बहुशः) पू० कृ० कढिविं कमल-त स (= कमल) १.१६.५,३.२.११,१७.१.१ कढकढंत-(अनुरण) कडकडाता हुआ ४.१२.५ कमल-(= हरिण, दे० ना०२.५४) २.१२.५ कढिण-कठिन १६.२.५ कमलसयर-कमलसर ६.१.१० कग--त स (=धान्य) ३.१४.६ कमलासणत्थ-कमलासनस्थ (= कमल पर विजारमान) कणय-कनक (=स्वर्ण) ६.३.३;६.७.११,११.१.११ कणय-कनक (=एक शस्त्र) १०.६.८११.७.३ कमेकम-क्रमेण क्रमेण (=क्रम क्रम से ) १.२१.५. कणयपह-कनकप्रभ (=राजाका नाम) ६.१.२ कम्म-कर्म १.१.४,१.७.३;१०.१२.८. (बहुशः) कणयप्पह-कनकप्रभ (= राजाका नाम) ६.२.५ कम्मट्ठ-कर्माष्ट = (ज्ञानावरणीय आदि आठ कर्म ) ७.१.४ कणयसमपह कनकसमप्रभ (= स्वर्ण के समान कान्तिवाला) कम्मजाल-कर्मजाल २.८.६. कम्मदेह-कर्मदेह ३.१६.७ कणवीर-करवीर (= एक वृक्ष) १४.२,४ कम्मपवाद-कर्मप्रवाद (= आठवाँ पूर्वाङ्ग) ७.३.४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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