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________________ १७० ] पउमकित्तिविरइउ [ १८, २१, ५ - गय वसह सीह अहिमुह ण होति खेय चोर मार दूरहों णमंति । जल-भरिय महाणइ थाहु देइ जल-पवहे बोलिवि णाहि णेइ । डाइणि पिसाय णवि गह छलंति रिउ रण-उहिं तासु ण गइ खलंति । उप्पज्जई तासु ण राय-पीड भउ करहिं णे सावय दुट्ट कीड । पत्ता- ण करेहिँ तासु घरि पीड क वि सिहि गह भूय पिसायइँ । जो सुमरइ आयइँ अक्खर हियवइ सवण-सुहावइँ ॥ २१ ॥ २२ सुपसिद्ध महामई णियमधरु थिउ सेणे-संघु इह महिहि वरु । तहि चंदसेणु णामेण रिसी वय-संजम-णियमइँ जासु किसी। तहाँ सीसु महामइ णियमधारि णयवंतु गुणायरु बंभयारि। सिरि माहउसेणु महाणुभाउ जिणसेणु सीसु पुणु तासु जाउ । तहाँ पुच-सणेहें पंउमकित्ति उप्पण्णु सीसु जिणु जासु चित्ति । तें जिणवर-सासणु भौसिएण कह विरइय जिणसेणहो मरण । गारव-मय-दोस-विवज्जिएण अक्खर-पय-जोडिय लज्जिएण । कुकइत्तु वि जण सुकइत्तु होइ जसु भुवणहाँ भावइ अत्थु लोइ । जइ अम्हहँ चुकिवि किं पि वुत्तुं खमि ऍवहि सुयणहों तं णिरत्तु । घत्ता- सिरि"-गुरु-देव-पसाएँ कहिउ असेसु वि चरिउ मइँ।। पउमकित्ति-मुणि-पुंगवहो देउ जिणेसरु विमलमइ ॥ २२ ॥ 10 ॥ संधिः ॥ १८॥ ॥ इति श्रीपार्श्वनाथ-चरित्रं समाप्तम् ॥ ५क-खस वघर चोर । ६ क- थाह । ७ क- खंति । ८ ख- जहि । ९ख- ज । १० ख- धर पीडु । ११ ख- भूय भूय । १२ ख- अक्खइ । (६) १ ख- महु । २ ख- सवणु । ३ ख- धरु । ४ ख- तहु । ५क- सेसु; ख- सेस । ६ क- पवम । ७ क- तं । ८ ख- भवियएण । ९ ख- दत्थु । १० ख- अम्हि वि । ११ ख- चोक्कवि । १२ ख- पुथु । १३ ख- एब्वउ सुयणहि । १४ ब- रिसि । १५ ख- पुंगमहो । १६ क- मए । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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