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-१८, २१, ४ ]
पासणाहचरिउ
केहि मि सम्मत्तु अणुव्वयाइँ परमेसरु चउ-विह-संघ-सहिउ बोतु सलु भुवणंतरालु सम्मेय-गिरि उ भुवण-णाहु तहि दंड - पयरु- पूरणु करेवि गउ जिण मोक्खों जग-पयासु
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घत्ता-- हयसेणु महामुनि पुंगे चउ - गइ - कलि-मल- दोसु । उप्पाइव केवल-णाणु गउ णिय-सैंयहॉ परसु ॥ १९ ॥
२०
लइयइँ गुणवय- सिक्खावयाइँ । दरिसंतु समय पहु पाव-रहिउ । पडंतु धम्मु दह-विहु विसालु । उ - विह-सुर- गणहर-रिसिं-सणाहु | अडयाल - पयडि-सउ खयहाँ त्रि । कि अविचल सिव- सुह-पई णिवासु ।
अट्ठारह संधिउ ऍहु पुराणु सय तिष्णि देहोत्तर कडवायाँ
तेतीस सयइँ तेवीसयाइँ उत्थु सत्थि गंथों पमाणु जो को अत्थु रिस - णिबद्ध जं रिस-पास पुराणें वुत्तुं तं एत्थु सत्थे मइँ थिरिउ तर संजउ जेण बिरोहु जाहि
सम्मत्त दूस जेण होइ धत्ता- मित्थेत करंति य कव्बइँ पर सम्मत्तइँ मणहरइँ | किंपात्र - फलोबम- सैरिसइँ होहि अंति असुहंकरइँ ॥ २० ॥
२१
जो णिसुणइ एउ महापुराणु भाउ परिहउ तासु ण करइ कोइ असउण ण दूसइँ खो जाहि सिहि ह ण वाहिउ होहि तासु
(२१) १ क- वणि । २ क- दूसइ णं ख, ख- दुसिवि सं० २२
- पुराणे महापुराणु । णणा-वह-छंद-सुहावयाहूँ । aar किं पि सविसेसयाइँ | फुड पड असेसु किय- पमाणु । सोत्थु थि" सद-बद्ध । जं गणहर-मुणिवर-रिसिहि वुत्तु । जं व्त्र करंतइँ संसरिउ ।
तं
गंथि म कहिउ णाहि । आगमेण तेण ण वि कज्जु को वि।
सो होस तिहु कय- पमाणु । गह- रिक्ख-पीड तो णाहि होइ । वितर-भुअंग गरु सहि पाहि । उवैसम्म पीड रिउ जाहि णाँसु ।
५ क- समव । ६ ख हेतू । ७ ख - धम्म दस । ८ ख- सम्मेद । ९ क- सिरि । १० ख- पए । ११ ख- पुंगमु । १२ क- सुअसु प° ।
(२०) १ क- यह: ख- इह । २ ख- पुराणे । ३ ख- पहाणे । ४ ख - सुहासिथ । ५ स्त्र- चउदहहि समंगल सुइ सुहाहु | ६ क - तेवीस । ७ ख अक्खर हि । ८ क- एत्थ सत्थ । ९ ख - यो । १० ख- पुरिसे १२ ख- सत्थु । १३ ख - सद्दत्थु । १४ ख आरेसे । १५ क- वित्तु । १६ क - इत्थु | १७ ख कव्वु करतें । १९ क- इत्थ । २० ख- दूसग । २१ मिच्छत । २२ ख- सलिलइ ।
११ क- एत्थ । एत्थ । १८ क
णइ खयहो णाहि । ३ क भ । ४ क तासु ।
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