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कवि-प्रशस्ति
जइ वि विरुद्धं एवं णियाण-बंधं जिणिंद तुह समये । तह वि तुह चलण-कित्तं कइत्तणं होज पउमस्स ॥१॥ रइयं पास-पुराणं भमिया पुहवी जिणालया दिट्ठा। इण्इं जीविय-मरणं हरिस-विसाओ ण पउमस्स ॥२॥ सावय-कुलम्मि जम्मो जिणचलणाराहणा कइत्तं च । एयाइं तिण्णि जिणवर भवि भवे इंतु पउमस्स ॥३॥ . णव-सय-णउआणउये कत्तियमासे अमावसी दिवसे । रइयं पास-पुराणं कइणा इह पउमणामेण ॥४॥
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