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- १८, ९, ५ ]
उपज सा अँड्ढाइय-दीव -समुद्दहि मेरु पुत्रवरेण विदेहहि
रह पंच पंच वि अरीत्रय
मेरुT ऍउ संबज्झइ
मणुस दुक्खिय
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पासणाहचरिउ
कम्म-भूमि फुडु मुणिय-विसेसहि पत्ता - सुहु असुहु वेवि कम्मंतर णरहि महिहि जे किज्जहि । संसार महण्णव भीसणे फलइँ तासु भुंजिजहि ॥ ७ ॥
सुरवर- गइ ऐवहि ँ णिणिज्जइ उ-विह-देव- णिकांयहँ आलय
४ ख- माणस । ५ ख- उप्पण्णय १० ख भरहु । ११ ख- राव । १५ क - विसेसहि । ९६ ख - तरइ |
दसहि पयारहि भवण- णिवासिय पंच-भेय जोइसिय पयासिय कीsहि देव रूव संपण्णा
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अहो राय पहंजण पुत्रिपाल दाल -वहि- जर मरण-गीढ पुत्र- क्किय दुक्किय अणुहवंति पंगुरण-वत्थ-परिचत्त-देह माणुस - गइ कम्म-फलेण जेण थोडो व धम्मु जहु जो वि सोइ जहु उज्जुणिम्म सरल-भाउ ते माणुस - जोणिहि जीव जाहि घत्ता - संखेवें कहिय राहित्र माँणुव-गइहि मइँ तणिय विहि । उजाणिव धम्मु कज्जहि जें पावहि सिव- सुहा णिहि ॥ ८ ॥
कम्म-भूमि उप्पण्णा अक्खिय | कम्म-भूमि थिय कहिय जिदिदि । सोलह सोलह विजय सुसेवहि । सहु वेयड्ढहि ँ छ-क्खंडाहय । सत्तरु सउ पंचहि उप्पज्जहि । aftar गुणहर - जिर्णेहि असेसहि ।
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सुकम्म भूमि र दुह-विसाल । भव भव हदीस पाव- मूढ़ । ल्ल जम्मंतरू दुहु सहति । रस-पाण- खाण परिगलिय-सोह । ते कहमि असेसु विउँ कमेण । सम्मत्तणेण परिवसहि लोइ । जे संजम नियम ण करहि पाउ । णार - तिरिय गइ ताहु णाहि ।
राय पहंजण चित्ति धरिज्जइ ।
भवण - वाण - जोइस कप्पालय । अपयारहि विंतर भासिय । सोलह-भेय विमाण- णिवासिय । बहु-ण- कंति - संपूण्णा ।
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६ ख अढाईय । ७ ख - मेरहिं । ८ ख- पुत्ररेण । ९ ख - सोलहर विज । १२ क- एकहिं मेरुर्हि; ख एक्कुहो मेरु एउ । १३ क - असेसहि । १४ क- जिगह । १७ क संसारि महण्णव ।
(८) १ ख- पुद्दइ । २ ख- भवे भवे । ३ ख कम्मरासि । भुंजंति जाव संसार वासि 1 ४ ख- तेण । ५ ख तं ।
६ ख - सच्छत । ७ ख माणुय । ८ इउ ।
(९) १ ख- एमहि । २ क- णिकायहि । ३ ख मेइ योइसि । ४ ख - लावण ।
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