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पउमकित्तिविरइउ
[१८, ९, ६सोलह-विहे-आहरण-विहूसिय रमहि देव वर-विलेपण-संसिय । देविहि सहु अच्छहि अपमाणहि णिवसहि सायर-पल्ल-पमाणहिँ। तित्थ-विहीण सत्त सुर दीसहि कंति-रूव-सुर-विरहिय णिवसहि। माणस-दुक्ख तोह उप्पज्जइ
तं दुक्करु णरके वि संपज्जइ । घत्ता- माणसु दुक्खु अणंत-गुणु देव कुजोणिहि सहियउ।
संसारि भमंतहों जीवहाँ देव-गइहि फलु कहियउ ॥९॥
देव-गइहि जे धम्में गम्महिं ते हेउँ कहमि णराहिव सुम्महि । जे वय-सील-णियम-संजम-धर पंच-महावय पालिय दुद्धर। जे सिक्खावय गुणवय धारहि णिय-मणु विसयहँ जंतु णिवारहि । जे जिण-व्हवणु तिकाल करावहि आगमु णियमु जोगु परिभावहिं। जे दय-धम्मवंत दंतेंदिय
रिसि गुरु देव जेहिं ण वि प्रिंदिय । जेहिं जिणिंदो पुज्ज चडाविय जिणवर-णाहहाँ भवण कराविय । ते उप्पजहिँ सग्गि सुरेसर कंति-पसाहिय अर्द्ध-गुणेसर । कालु सुहेण जंतु ण वि जाणहि पीण-पोहर-जॅवइउ माणहि। घत्ता- णरय-तिरिय-मणु-देवहि चउहि गइहि जं वुत्तउ ।
सउरी-णयरि-णराहिव तं मइँ कहिउ णिरुत्तउ ।
सउरी-णयरि-असेस-पहाणउ सुणिवि जिणेसर-भासिउ राणउ । उट्ठिउ सहु णरवरहिं पहंजणु देवि' पयाहिण णविवि णिरंजणु । सहु सामंतहि थिउ जिण-दिक्खहि भूसिउ संजम-गुणहि असंखहि । बोहिवि भविय-लोउ परमेसरु गउ वाणारसि-णयरि जिणेसरु । उववणि आवासिउ जग-सारउ आयउ भविय-लोउँ वय-धारउ ।
सुणिवि वत्त हयसेणु णराहिउ अंगिण मायउ हेरिस-पसाहिउ । ५ क-विहि। ६ ख- विलय विहूसिय । ७ ख- देवहि । ८ क, ख- माणुस । ९ क- तहं । १० क, ख- माणुसु । ११ क- संसार ।
(१०) १ ख- हमु कहिम । २ ख- सुठाइ । ३ क- णियम जोग सं° । ४ख- विसयहि । ५ ख- परिदावहि । ६ ख- मुणिवर देव जिहि वि नर वंदिय । ७ ख- सग्गे । ८क- अहिय सुरेसर । ९ख- कल । १० ख- जाहि । ११ क- जुवहि; ख- युवइउ । १२ क- णारय; ख- णारइय । १३ क- मणुव ज दें। १४ क- चउगइहि; ख- चउहु गौं।
(११) १ ख- देव । २ क- दिक्खिउ । ३ ख- संबोहिवि भवियइ पर। ४ ख- वणे । ५ ख- आयो । ६ स्त्र- लोय उद्धारउ । ७ ख- 'सोणु । ८ ख- अंगे माइउ हरिसे साहिउ । ९क- परिस पसाहि ।
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