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[१७,९,४
पउमकित्तिविरइउ णिर्वसेसहि गिरि-गुह-कंदरेहि जल-थल-दुग्गमहि वणंतरेहि। धण-धण्ण-रहिय दुबल-सरीर
आहार कंद उंबर करीर। कय-विक्कय-घर-चवहार-चत्त
रंस-तेल्ल-हीण पंगुरण-पत्त । दुम्मुह अणिट्ठ पाविट्ठ दुट्ठ
दुक्खहँ विवण्ण खल णिच रुट्ठ । खर-फरुस-पपिर अप्पचित्त होसहि अरुप्परु कुद्ध-चित्त । धम्मैत्थ-विवज्जिउ दुक्ख-जालु अइदूसमु छै?उ कहिउ कालु। पत्ता- इवीस सहास िवरिसहँ तासु पाणु पयासिउ ।
छंह-कॉलहों एहाँ समासे माणु जिणिदें भासिउ ॥ ९॥
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कालहों अवसाणे तइज्जोहो
पइसंतहाँ तैह य चउत्थाँहो। उप्पण्णु रिसह जिणु गुणहँ रासि जे तित्थ-पवत्तणु कियउ आसि । संभविउ अजिउ जिणु विगय-लेउ संभउ अहिणंदणु देव-देउ । पंचमउ सुमइ जिणु वीयराउ
छट्ठउ पउमप्पहु सुद्ध-भाउ । सत्तमउ मुपासु महामहंतु
चंदप्पहु सुविहिउ पुप्फयंतु । सीयलु सेयंसु सुरिंद-पुज्जु
बारहमउ जिणवरु वासुपुज्जु । परमेसरु विमलु अणंतु धम्म जिणु संति कुंथु अरु खविय-कम्मु । तित्थयरु मल्लि जग-सयल-सामि मुणि सुव्बउ जिणवरु मोक्खगामि । णमि णेमि पासु अंतिमउ वीरु जे णिजिउ वम्महु हय-सरीरु । धत्ता- चउवीस कहिय तित्थंकर गर-सुर-णमिय तिलोय-पंहु ।
उच्चत्तु थाउ वण्णाउसु तित्थ-पमाणइँ णिसुणि तुहुँ ॥ १० ॥
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आइयरु पंच चावहँ सैयाइँ
पंचास-रहिय अजियहाँ विताइँ । संभउ चयारि सय मय-विणासु अहुट्ठ सयइँ अहिणंदणासु । जिणु सुमइ चाव-सय कहिउ तिणि पंचासा पउमप्पहहाँ चिण्णि ।
दुइ सय सुपासु घण-तिमिर-दलणु ससिपहु दिवड्डु सुर-णमिय-चलणु । ६ ख- णिवसीसहि । ७क- दुग्गइ महि । ८ क- में यह आधी पंक्ति छूटी है। ९क- में यह आधी पंक्ति भी छूटी हुई है। १० ख- अवरोप्परु कुविय चि । ११ ख- धम्मच्छ । १२ ख- वड्ढउ अइ। १३ ख- में यह पद छूटा है। १४ ख- एक। १५ क- वरिसइ । १६ क- पवाणु । १७ ख- छहु । १८ क- कालहु एहु; ख- का एव समा ।
(१०) १ क- जाहे । २ ख- अहव । ३ क- त्थाहे । ४ क- देउ । ५ स्त्र- 'पह सुविहु । ६ ख- सुव्वय । ७ ख- सोक्ख । ८ क- पह।।
(११) १ क- सयारई । २ क- अजियहं । ३ ख- कंदप्प दं।
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