SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - १७, ९, ३ ] मेण दुसमु सुमो त्ति कहिउ सो एक-कोडि-कोडीहि वृहु पण तित्थु तत्र देव तिखंड -गाह पडिवासुदेव आगम-पुराणे des भेय raणारायण ऐयारह विरुद पासणाहचरिउ धत्ता- हलहर - केसव कित्तण धम्म- पण तित्थइँ । इस केवल - णाइँ हुइँ काले चउत्थइ || ७ || पंचमउ कालु दूसमु रउद्द हि दुक्खय होसह लोय ताम सउ वरिसहँ जीवेसर णिरत्थु कंदल - पिय rear अत्थ-लुद्ध लूस पण गाम देस उन्स हो सहि विविह गाम कंदर - गिरि - सिंहरहि वर्ण- एसि भंजे हि मढ देवल विहार Jain Education International अ दूसमु दूसमु भीम - कालु सोलह संवच्छर आउ तित्थु वायाल वरिस सहसेहि रहिउ । सायरहँ गणिउ कालहँ समूहु । केसर हलहर महि-सुसेव । चवीस महाबल कामदेवें । केवल परमेसर रिसि अणेय । " उप्पण्ण पर्येड जय - जस-समुद्द | घत्ता - जणु होस दुग्गेहँ भत्तउ जीव वहेसहि पाव- मइ । उवहासु करेसद्दि जिणवरहो पर धण - महिलासत्तैं - मइ ॥ ८ ॥ ९ कॉल हिउ णियमु धम्मु होएसइ भोरहि दुह-समुद्दु । गैय वरिस सहस इकवीस जाम । उच्चतु तित्थु आहुट्ठ हत्थु । होएसहि अवरुप्परु सकुद्ध । दंडेसहि पामर - जण असेस । आसत्थ तर होसहि पगाम । णिवेसीसहि गरवर मिच्छे-देसि | सहि सरवर जल- अपार । (९) १ क- दुस्समु दुस्समु भीषण कालु । होएसइ छउ दुह-विसालु । उच्चत्तु वि होस ऍकै हत्थु । जणु सयलु करेसर असुहु कम्मु । ७ क - तहि दुसमु सुसमु इह भाउ कहिउ । ८ ख- उप्पण्णु तित्थू । ९ जो आठवीं पंक्ति है वह क प्रति में यहां भी लिखी है । (८) १ ख- भार हें । २ क- गइ। ३ क में यह आधी पंक्ति छूटी है । ४ क ५ ख - अत्थू लध्धू । ६ ख खलु खुद्द पिसुण अइदीण कुद्ध । ७ ख- भुंजेसहि । ८ खगाम 1 १० क- विवरहि ख- सिहरिहि । ११ ख- वणि । १२ क- णिवडीस । १५ क - सोसेसहि सायर । १६ क- दुव्वहि । १७ क- 'सत्तमः ख - सत्त रई । १० - तिखंड | ११ क- पवर १२ क- में अधिक पाठ-अण्णे वि महाबल सयल एव । १३ क- आरह । १४ ख- पयदि जिह जगि स । १५ क- पउत्तण । १६ क- अयस्य । १७ क- हुअइ । A [ १५१ २ क- एकु । ३ ख- काले । ४ ख धुउ । For Private & Personal Use Only में अधिक पाठ - जीवेसइ वीसासउ णिरुत्तु । दंडीस । ९ ख - होईसहि विविह विरत्थ १३ ख - मित्थ । १४ ख - फेडेसहि । ५ ख- पर सयल करेसहि । 5 10 5 10 www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy