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________________ १५, ११,२] पासणाहचरिउ [१३७ ऍत्यंतरि सयल-सुरासुरेहि अणयार-साहु-रिसि-मुणिवरेहि। अंजलि-पुड-विरइय-थिर-करेहि जयकारिउ जिणु पणविय-सिरेहि। जय भुवण-णाह जय जय जिणिंदै कुसुमाउह-मयगल-बर-मइंद। जय देव-देव तियसिंद-वंदे उम्मूलिय-भव-तरु-सयल-कंदै । जय केवल-किरण-फुरंत-देह संसार-वाहि-परिहरिय-मोह । जय भुवण-णमंसिय-सुयण-सील चारित्त-दसद्ध-विसुद्ध-सील। जय णाण-झाण-विण्णाण-जुत्त . सव्वण्ह परंपर-संत दंत । जय केवल-णिम्मल-गुण-महंत परमप्पय अब्धय सुह-अणंत । घत्ता- जय जय मण-वियोरण सिव-सुह-कारण आइ-पुराण जिणेसर । केवल-णाण-दिवायर जीव-दयावर बोहि देहि परमेसर ॥ ९ ॥ पुणु वि पैडीवा सयल सुरेसर गणहर मुणिवर रिसि परमेसर । बहु-विह-णामहि कल्लाणेसरु भावें वंदैहि परम-जिणेसरु । अतुल-अणाइ णिरंजणु सासउ अकलु अमलु अविचल अविणासउ । णिरहंकारु अलेउ महेसरु एउ अणेउ अजउ जोगेसरु । अभउ अणंतु साहु पारंगउ तेवीसमु सुर-गुरु अकलंकउ । देव-पुज्जु सव्वण्हु जगुत्तमु जग-गुरु परम-देउ पुरुसोत्तमु । वीरु णिमण्णु णिराउहु सुद्धउ वसहु अजिउ भवियाण-बंधउ । पयडु धुरंधरु विहुणिय-कलि-मलु चरम-सरीरु संतु अतुलिय-बलु । घत्ता- जीव-असेस-दयावरु विविह-गुणायरु फेडिय-कलि-मल-दोसउ । सयल-कलागेम-भासउ भुंवण-पयासउ भव-सय-सायर-सोसउ ॥ १० ॥ 10 सयल-सोक्ख-परिठाविय-अप्पर मुंहुमु अलेउ देउ परमप्पउ । सोम तेउ बहु-भेय-अखंडिउ कम्म-विणासउ पंडिय-पंडिउ । (९) १ ख- इत्यंतरे । २ क- 'कारियु । ३ क- जिणेंद । ४ क-वरमयगल मईद । ५ ख-विद । ६ ख-केंद । ७ ख- पसाहिय । ८ क- सुवण । ९क- महंत । १० ख- मरण । ११ क- वियारा णरसुरसारा । (१०) १ क- पओवि । २ ख- णामिहि । ३ ख- वंदहु । ४ ख- पारंभउ । ५ क- पुरिसो। ६ क- वीर णिमाउ णिरा । ७ क- 'यणु । ८ ख- सत्ति । ९ क- गमु । १० क- भुवणु । (११) १ क, ख- परिट्ठाविय । २ ख- सुहु अमलेउ । ३ ख- सोहम । सं. १८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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