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केवलि जिणवरु अरुहु भडारउ संतु महंतु अचिंतु जिणेसरु भवियाणंदणु भुर्वेण दिवायरु पुण-पैवित् जिणंदु अणिदिउ अरु अमरु अक्खउ तित्थंकरु भुवर्णाहुणिम्मल परमप्पड सउ अरु णामहि पयडिउ
पउमकित्तिविरइङ
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घत्ता - धणु कणु रज्जु जिणेसरे जग परमेसेंर आयहँ किं पि ण मग्गहँ । ve बुद्धि जग सारा देहि भडारा है पर तुह ओलम् ॥ ११ ॥
१२
सिद्धु बुद्धु कंदप्प-वियारउ । अचलु अमलु तिहुँअण-परमेसरु । परम-परंपर सिव- सुह- सायरु । वलु विमल सास सुर-वंदिउ । वीय-राउ जय - सामिउ संकरु । ईसरु देव - देउ उत्तिम पउ । स इंदु विजिण-चणइँ णिवडिउ |
४ क- तिहुवण । ५ क- भवण । ६ क- पवित्त जिनिंद | ७ क - धवलविमल । ११ क- पर एह बुद्धि सुरसा । १२ ख- जह पर इह ओलमहु ।
ऍत्थंतरि गयउर-पुरों णाहु उपण पॅक्विजिणहाँ णाणु पखेवि जिदिहाँ परम- रिद्धि जिणु पणविवि तक्खण लइँय दिक्ख सो गणहरु पहिलउ जिणहों जाउ तहों दुहिय पहावर वर- कुमारि for-faras fre वये नियम- धारि सा अज्जिय संघों वर पहाण हि कालि मिलिउँ सिरि-सत्रण-संधु संजमधर सावय सावियाउ
में सयंभु थिर-थर-बाहु | विहवें तहि परियण-समाणु । पव्वज्जे उप्पर जाय बुद्धि । जगणा पयडिय तासु सिक्ख । बहु-लद्ध- रिद्धि उवसम-सहाउ । अवयरिय वाणहँ गाइ मारि । figar - कसाय -महाचयारि । पंचिंदिय-संड-कय- पमाण । -संजैम-तत्र णिब्भरु मय- अलंघु । अणुराएँ सयल वि" अवियाउ ।
पत्ता- मिलिय असेस णरेसर महि-परमेसर जक्ख रक्ख विज्जाहर । इंद चंद पउमाणण जय - सिरि- माणण लोयवाल कप्पामर ।। १२ ।। ॥ संधिः ॥ १५ ॥
[ १५, १२, ३
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८ ख- 'वणेण । ९, १० क
(१२) १ ख- एत्थंतरे गयवर । २ ख- पिक्खिवि जिगह । ३ क- जिणंदहो । ४ क, ख पेखेवि । ५ ख - 'जहो । ६ क- तक्खणि । ७ ख - लई दुहियहो वइर कुमा। १० ख- जुत्राणहि । ११ ख- जय । क में यह आधी पंक्ति छूटी है । १५ क उ ।
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८ ख - बुद्धि । ९ ख । १३ क थिउ । १४
१२ ख- में यह आधी पंक्ति छूटी
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