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पउमकित्तिविरइउ
[१५, ७,१
जगणाहहाँ इंदें समवसरणु
किउ भवियहँ सयलहँ जं जि' सरणु । पायार तिण्णि गोउर चयारि णंदणवण वाविउ चारि चारि । सरवर चयारि किय माण-थंभ वर पंच-भेय तह रयण-थंभ । सुर-देवहि मंडउ गट-साल
धय पंवर अट्ठ उब्भिय विसाल । बारह थाणंतरै तहिं णिवि? किय वारि वारि मंगल वि अट्ठ । कवसीसा तोरण कप्परुक्ख
सोवाणपंति सुंदर असंख। कंचणमय पंडिमउ णिम्मियाउ गोसीरिस-चंदण-चच्चियाउ । सत्थिय चउक्क णाणा-पयार लंबाविय किकिणि घंट हार। घत्ता- सयल-सुरासुर-णाहहो गुणहि सणाहहाँ लोयालोय-पयासयरु ।
समवसरणु किउ पासों भुवण-पयासह) भविय-लोय-आणंदयरु ॥ ७ ॥
सिंहसणु णिम्मिउ पोय-वी? मणि-रयण-जडिउ हरि-जुवल-गीहु । छत्त-त्तउ धवलुज्जलु पसत्थु
संवण्ह-चिण्ह-पयडण-समत्थु । सुर-णिम्मिउ धय-बडु गयणे भाइ भविस्यणु हक्कारेइ णाइ। आयासह) णिवडइ पुप्फ-विद्धि णं भवियहँ रिसइ अमिय-विहि। आहरिय सैमइ चउसहि जक्ख थिय चैमर-हार कुवलय-दलैक्ख । वेलिय-पवालय-छण्ण-सोहु सोहइ असोउ पल्लव-सणाहु । भामंडलु दिणयर-सहस-देहु सोहइ उज्जोइय भुवण-गेहु । तिहुअणहाँ वि सयलहों अभउ देंति सोहइ जिण-वाणि समुच्छलंति । जगणाहहाँ अट्ठ वि देव पुज्ज सोहंति" णाइ थिय धम्म-पुंज । वर-धम्म-चक्कु पजलंत-तेउ
मणि-चीढहो उप्परि थिउ अलेउ । घत्ता- अँइसय-चउतीसँहि जुत्तउ गुणेहि णिउत्तउ माक्ख-महाँपहें गामिउ ।
तेवीसमु जिणु तित्थंकरु पाव-खयंकर पासणाहु जग-सामिउ ।। ८॥ (७) १ क- में यह पद छूटा है। २ ख- पउर । ३ ख- तहि । ४ ख- णिविट्ठ । ५ ख- मंडव । ६ ख- जणियउ । ७ ख- किक्किणि । ८ क- समोस ।
(८) १ क-पाव । २ ख- वीढू । ३ ख- कणय संचएण गीढू । ४ ख- में इसके पूर्व अथिक पाठ-छत्त-तउ साहइ धवलवण्णु । तं तिहुअणे पुष्णिम जोण्ह छण्णु । ५ क- सवण्हु चिण्हु । ६ ख- समत्थू । ७ क- ताडिय दुंदुहि ग । ८क- याजण; ख'याणण । ९ ख- वुट्ठि । १० ख- वुट्ठि । ११ क- सयाण । १२ ख- चमरि । १३ ख- लक्खु । १४ क- च्छुद्धहण सहासइ तरु असोउ । थिउ गयणि विहूसिवि जणि असोउ । १५ क- यरु । १६ ख- सोहत्ति । १७ क- अयस । १८ क- सहे । १९ क- गुणह । २० ख- पह ।
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