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संधि कडवक कडवक का विषय ८ व्यंतर देवों के प्रकार, उनका निवास आदि । .
१४२ ९ भवनवासी देवों के प्रकार, उनकी आयु ।
१४३ मध्यलोक, उसमें स्थित जम्बूद्वीप । ११ जम्बूद्वीप के सात क्षेत्रों और छह पर्वतो की स्थिति आदि ।
१४४ १२ पूर्व तथा अपर विदेह का वर्णन ।
१४४ १३ पर्वतों पर हृदों की स्थिति, उनसे गंगा आदि नदियों का उद्गम लवण समुद्र का वर्णन। १४५ १४ धातकी खंड, कालोंदधि तथा पुष्कराध का वर्णन । १५ अढाई द्वीप में क्षेत्रों, पर्वतो आदि का विवरण । १६ द्वीप समुद्रों में सूर्यचन्द्र की संख्या ।
१४६ १७ तीन वातवलयों का निरूपण ।
१४७ १८ कमठासुर द्वारा जिनेन्द्र से क्षमायाचना ।
१४७ १ जिनेन्द्र का कुशस्थली में आगमन । २ रविकीर्ति का जिनेन्द्र के पास आगमन ।
१४८ ३ कुलकरों तथा शलाकापुरुषों के विषय में रविकीर्ति की जिज्ञासा ।
१४९ ४ काल के दो भेद - अवसर्पिणी तथा उत्सर्पिणी, सुषमा-सुषमा काल का वर्णन । १४९ सुषमा काल का वर्णन ।
१४९ सुषमा दुषमा , ,। कुलकरों की उत्पत्ति ।
१५० ७ दुषमा सुषभा में शलाका पुरुषों की उत्पत्ति ।
१५० दुषमा काल का वर्णन ।
१५१ ९ दुषमा दुषमा , ,।
१५१ १० तृतीय काल के अन्त में ऋषभदेव की उत्पत्ति, चौये में अन्य तीर्थंकरों की उत्पत्ति। १५२ ११ तीर्थंकरों की काया का प्रमाण । -
१५२ १२ तीर्थंकरों के जन्म-स्थान ।
१५३ १३ तीर्थंकरों का वर्ण ।
१५३ १४ प्रथम दस तीर्थंकरों की आयु का प्रमाण । ।
१५४ श्रेयांस आदि चौदह तीर्थंकरों के तीर्थ की अवधि ।
१५४ १६ प्रथम दस , , , ।
१५५ १७ श्रेयांस आदि आठ , , , ।
१५६ १८ मल्लि आदि छह , , , ।
१५६ १९ बारह चक्रवर्ती - उनके नामादि ।
१५६ २० नौ बलदेव - उनके नाम जन्म, आदि । नौ नारायण, उनके नाम आदि ।
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