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________________ २३ मूल १५८ अनुवाद १०६ १५८ १५९ १०७ १०७ संधि कड़वक कडवक का विषय २२ नौ प्रति नारायणों के नाम । २३ रविकीर्ति द्वारा दीक्षा ग्रहण । जिनेन्द्र का विहार करते हुये शौरीपुर में आगमन, वहां के राजा प्रभंजन का जिनेन्द्र के पास आगमन । २४ प्रभंजन द्वारा जिनेन्द्र की स्तुति । १८ १ चारों गतियों पर प्रकाश डालने के लिए प्रभंजन को जिनेन्द्र से विनति । नरक गति का वर्णन । २ जो नरक जाते हैं उनके दुष्कृत्य । ३ तिर्यग्गति के जीवों का विवरण । ४ तिर्यग्गति के दुःख । उसमें किस प्रकार के जीव उत्पन्न होते हैं, उनके कर्म । ५ मनुष्य गति-भोग भूमि और कर्मभूमि-भोग भूमि का वर्णन । भोग भूमि में उत्पन्न होने वालों के सत्कार्य । ७ अढाई द्वीप में १७० कर्म भूमियाँ । ८ दुष्कर्मों का फल भोगने के लिये कर्म भूमियों में उत्पत्ति । सुरगति का वर्णन । १० देवगति जिन कर्मों से प्राप्त होती है उनका विवरण । ११ प्रभंजन द्वारा दीक्षा ग्रहण, जिनेन्द्र का वाणारसी में आगमन । १२ जिनेन्द्र का हयसेन को उपदेश ।। १३ नागराज का आगमन । जिनेन्द्र द्वारा उसके प्रश्न का उत्तर । जिनेन्द्र द्वारा प्रथम पूर्व जन्मका वर्णन । १४ जिनेन्द्र के दूसरे और तीसरे जन्मों का संक्षिप्त विवरण । १५ जिनेन्द्र के चौथे तथा पांचवें जन्मों का संक्षिप्त वर्णन । १६ जिनेन्द्र के छठवें तथा सातवें जन्मों का संक्षिप्त वर्णन । १७ जिनेन्द्र के आठवें जन्म का संक्षिप्त वर्णन । १८ जिनेन्द्र के नौवें तथा दसवें जन्मों का संक्षिप्त वर्णन । १९ हयसेन द्वारा दीक्षा ग्रहण । जिनेन्द्र का निर्वाण । २० ग्रन्थ-परिचय । २१ ग्रन्थ के पठन-पाठन से लाभ । २२ पद्मकीर्ति की गुरु परम्परा । कवि की प्रशस्ति । १६० १६० १६१ १६१ १६२ १६२ १६२ १६३ १६३ १६४ १६४ १६५ १०८ १०८ १०८ १०९ १०९ १०९ ११० ११० ११० १११ १११ १६५ १६६ १६६ १६७ १६७ १६८ ११२ ११२ ११२ ११२ ११३ १६८ ११३ ११४ १६९ १६९ १७० ११४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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