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पउमकित्तिविरइउ
[५, ७, १
पुत्तहों देवि सिक्ख हरिसिय-मणु गउ चक्काउहु जहि अच्छइ जिणु । सिरिखेमंकरु भुअण-दिवायरु पणविउ जाईवि वय-गुण-सायरु । भविय-सयल-जण-णयण-सुहंकर लइय दिक्ख संसार-खयंकर । मुणि अणयार-धम्मि थिउ अविचलु भय-मय-विगउँ विरहिय-समय-मलु । अवगह-णियम-जोग-संजमधरु वय-उववास-जॉग्ग-दसणधरु । पालइ एउ एम जं वुत्तर
मण-वय-काय-तिगुत्तिहि गुत्तउ । इंदिय साहइ पंच वि मुणिवरु झायइ णिय-मणि देउ परंपरु । च्छ वि आवासय मुणिवरु पालइ । वंदइ जिणवर-घर विसाल । पडिवोहंतु भविय-कमलायरु विहरइ पुहविहि जीव-दयावरु । पत्ता- ऍकु लक्खु पुव्वंगैहँ जिण-तउ तविउ सुहावउ ।
कम्म-महीहरु गउ खयहो भवतरु-सय-असुहावउ ॥ ७ ॥
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तउ तासु तवंतहाँ मुणिवरहो च्छ-जीव-णिकाय-दयावरहो। आयासगमणु उप्पण रिद्धि वर-वीय-कोट्ट संपण्ण सिद्धि। पाविय णव-भेयहि परम-लद्धि संपत्त सयल तहाँ मंत-सिद्धि । आयासें मुणि उत्तिम-चरित्तु गउ विजय-सुकच्छहि विमल-चित्तु । भीमाडइ-वणि पइसेवि साहु . थिउ जलण-गिरिहि तव-सिरि-सणाहु । रवि-किरणहँ दूसहँ देवि अंगु आयावणेण ठिउ विगय-संगु । झाणाणलेण तोडंतु पाउ
सम-सत्तु-मित्तु उवसंत-भाउ। अणुपेहणाउ बारह सरंतु
अभितर-बाहिर-तउ करंतु। घत्ता- चक्काउहु मुणि परमेसरु दंसण-णाण-विसुद्धउ ।
बावीस-परीसह चूरइ धम्म-झाणे आबद्धउ ॥ ८॥
(७) १ क- य । २ क- य समलुरहियै । ३ क- मु । ४ क- °हिं । (८) १ क- हे । २ क- हे । ३ क- हे । ४ क- तु ।
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