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- ५, ६, ११ ]
पासणाहचरिउ
for a ता अणुदिणु कीडतह जाइ कालु कुवि' जाम सणेहें दीसर सीसि पलिउ अमुहावउ पण पलिउ गाई अहो णरवर गिरि-इ-वह- सरिसु चलु जोन्णु जीविउ जणु रज्जु असारउ अच्छहि" ऍत्थ काइँ णिचिंत महि बुड्ढत्तणु त होस
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बहु-विह-विसय-सुक्ख विलसं हूँ । ताम ते धवलुज्जल-देहें । सहर -सरि धवल पत्रणाहउ । लिवि रज्जु दिक्ख लइ गुणकर | ऍउ पंचिंदिय-हु विस-भोयणु । अथिरु असे वि छायागारउ । धणिय किणकरहि तुरंतउ । पलियं कुरु एहि णउ सीसइ ।
घत्ता - जाण आवइ देह-जर ण वि वियँलिंदिउ होहि । ताम असेसु वि परिहरहि णरवर धम्मु करेहि ॥ ५ ॥
पेक्खिवि पलियं कुरु णरवरेण मुज्जाउ कक्किं तेण पुत्तु अह सुह धुरंधर भत्तिवंत परिपालि रज्जु हउँ लेमि दिक्ख अवियारिउ किंपि "वि मं करिज्ज मंतिज्जहि चउ-विह- मंतणउ हारिज्जैहि मं जसु अप्पणउ मं रज्जे करिज्जहि जंपणउ वैज्जिज्जहि " दूरें दुट्ठ-संगु
चक्काउह-महि- परमेसरेण । आलिंगिंवि सरहसु एम वुत्तु । कुल- सीललंकिय गुण - महंत | उदेसि णिणि सिक्ख । rain विणु मं दो दिज्ज । मं कहें विकरि खलत्तणउ । मं पुत्त हविज् णिरप्पणउ । सुहि-सयहँ होज्जहि अप्पणउ । रक्खज्जहि" पट्टण देस भंगु ।
घत्ता - पालिज्जहि" दीण-अणाह मुणिवर-गुरु-कम सेविज्जहि " । भंडारि रज्जे घरि परियणे पुत्र- पुरिस मेल्लिज्जहि ॥ ६ ॥
(५) १, ख - सो । २ ख - इ । ३ क - तेम । ४ ख स । ५ क सि । ६ क- 'हि । ७ क- वइ । ८ क हर । ९ - असंसउ । १० क एउच्छुहासउ । ११ क- 'इ जाम एत्थ चित्तंतउ । १२ क- एवहो; ख - एहि वु । एउ णइ सी° । १४ खव । १५ क- लेंदिउ । १६ ख - हरे गरौं ।
१३ ख - 'कुरेणे
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(६) १ ख- क्खे । २ ख - 'कि' । ३ ख - गेवि । ४ ख 'ललं । ५ खण । ८ ख- लिज । ९ क -कहु मि । १० ख- रे । १५ ख - प्रति का पत्र क्रमांक २१ गुमा हुआ है अतः आधार पर संशोधित किया गया है । १६, १७ क- 'हे
११ ख- ₹ । १२ क- 'हे यहां से लेकर ग्यारहें कडवक की । १८ क- 'हे । १९ क- 'हे ।
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६ क- राहिउ । १३ ख - 'वे' । पांचवीं पंक्ति का पाठ
७ ख - भिणु । १४ ख - रे । केवल क प्रतिके
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