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पउम कित्तिविरइउ
जो कहिउ अण्णभवे' किरणवेड सो अच्चु कप्पा चविवि आँउ - मासे गर्भ थिउ पुण्णवंतु चक्कंकिय-कर-लु गुण-पगाउ कल-गुण-विण्णाणहँ" गयउ पारु कुम्मुण्णय-चलणु विसाल-वयणु करि-कैर-सम-सरिसु पलंब-बाहु सिरिवच्छ - मच्छ-भूसिउ सतेउ
घत्ता - " कंति उ लावण्णउ "जं तहाँ अंगि ण माइयउ । " तिहि भवणहि आणेविणु देइएँ तं पि पउंजियउ ॥ ३ ॥
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धवले विमले कल- सहिउ सुमणहरु परिहव-भय-मय- रहिउ णराहिउ गुणधरै पवरु सधणु जस-धवलिउ
१५ ख २१ क- रे । २२ ख- सु ।
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-मण- सुहि-ज- विउसहि" सहियउ परियण-सुर्येण -सयण-परियरियैड करिव - गइ हरि जह भुवें - बलियउ जलणिहि- सरिस - गहिरु गुण-सहियउ सरल विमलु ससहरु जह पयडउ
उ कैरिव सुगं उप्पण्णु देउ । लच्छीम - कुच्छिहि गभि जाउ । अरिउ महिहि ससि जह सुकंतु । चक्काउट्ठे किउ तें तासु गाउ । सत्थत्थ - विक्खणु णित्रियारु । पंचाणणे - कडिल रत्त-णयणु । गंभीरु धीरु लक्खण-सणाहु । रूवेण णी जगि कामँदेउ ।
घत्ता- हाँ बहु-गुण-गण- णिलयहो कल-गुण- सैंहिय सुविविह-सुह । विजय घरिणि पिय मणहरे वियसिय- सररुह - सरिस - मुँह ॥ ४ ॥ (३) १ क- वि । २ ख- रे । ३ ख ग्गे । ४ ख य । ५ ख - देउ । ६ ख मे । ९ क स । १० क- पत्तु गुणाप्प । ११ क- हि । १२ क- हे । १३ क णु । १४ वर । १६ ख - ताई । १७ ख ए । १८ ख में अधिक पद 'वरु' । १९ ख - रुवु । २० ख भुवणहे । २२ क- दिहं ।
गुरु- सुहि-सयण-जणणि- पिय- सुहयरु | जर पडु कुमइ - मल- विरहिउ । रण-भर-धुरहण इरिहि मइलिउ । पर-धण-पर-तिय-खल - यण-रहियउ । धण-कण - कल-गुण-जय-सिरि-सैंहियउ । कल-गुण- लिउ ण इयरहि छैलियउ । अवगुण-अवैजस-विरहिउ अवहिउ । पिय-गुरु-जणणिहि" अणुदिणु णियडउ ।
[ ५, ३, १
(४) १, २ क- ल । ३ ख - सहि- सुहिण - जण । ४ ख- हिं णरा । ५ ख - सु । ६ क वरु पसरु । है । ८
७ क
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१४ ख - बलि ।
। ९ क- 'हे । १० क अ १६ क प । १७ ख -
११ क- इउ । १२ क- भरियउ । १३ ख य गुरु; क- रु । १८ क है । १९ ख - हु । २०
क- समहिउ वि ।
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य । ७ ख- न्भ । ८ खख - आयंव जय । १५ खजावहि अं । २१
क- तहि
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