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-५, १०, १०]
पासणाहचरिउ
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ऍत्वंतरि असुह-महासमुद्दु अजयरहों जीउ पावियहाँ खुदु । तम-पुढविहि' साहिवि दुहु अणि? तहि जलण-गिरिहि उप्पण्णु दुट्ठ । णामें कुरंगु भिल्लवइ जाउ
बहु-जीव-खयंकर चवलु पाउ। आबालहाँ लग्गिवि तासु जम्म गउ पाउ करंतहों चंड-कम्मु । तहिं गिरिहि भमंते दय-सणाहु दीसइ तव-णिभरु परम-साहु । सो पंक्खिवि तहाँ मणि कोहु जाउ जोईसरु णयणहि मुणिउँ साउ । णयणहिँ जाणिज्जइ पुन्च-वहरु जं जेण जासु किउ आसि चिरु । णयणहि जाणिज्जइ सत्तु मित्तु सुहि बंधउ जो जसु आसि पुत्तु । घत्ता-- पियहाँ समागमि विहसहि णयण णेह-णिबद्ध ।
मउलिज्जइँ अप्पिय दिइ रुहिरारुणइँ सकुइँ ॥ ९ ॥
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कोहाणल-जाल-पलीविएण हउ णिसिय-खुरप्पें साहु तेण । जह जह मुणि-देहहि रुहिरु एइ तह तह मिच्छाहिउ बाण देइ । रोमंचु कुरंगहाँ अंगि जाउ
जं आउ मुणिहें रुहिरहँ णिहाउ । परमेसरो वि अगणंतु पीड
मेल्लंतु सयल संसार-कीड । गउ सरणु अरहै-लोगोत्तमाहु सम-चित्तें सयलु गणंतु साहु। अणु महइ सरीरहाँ तणउ दाहु किउ अण्ण-जम्मि मइँ असुह-कम्मु तहाँ फलेण एहु संपण्णु जम्मु । महु केण वि सहु ण वि रोसु तोसु अणुहवइ जीउ जो कियउ दोसु । घत्ता-जं अण्ण-भवंतरि अज्जिउ कम्म-महाफल दुसहउ ।
तं हउँ ऐएण सरीरें अज्जु असेसु वि विसहउँ ॥ १० ॥
(९) १ क- हे । २ क- हे । ३ क- चा । ४ क- हो । ५ क- हि । ६ क- हे । ७क- "हे । (१०) १ क- राह । २ क- 'हो । ३ क- को । ४क- अण भ । ५ क- एण ।
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