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________________ -५, १०, १०] पासणाहचरिउ [३९ ऍत्वंतरि असुह-महासमुद्दु अजयरहों जीउ पावियहाँ खुदु । तम-पुढविहि' साहिवि दुहु अणि? तहि जलण-गिरिहि उप्पण्णु दुट्ठ । णामें कुरंगु भिल्लवइ जाउ बहु-जीव-खयंकर चवलु पाउ। आबालहाँ लग्गिवि तासु जम्म गउ पाउ करंतहों चंड-कम्मु । तहिं गिरिहि भमंते दय-सणाहु दीसइ तव-णिभरु परम-साहु । सो पंक्खिवि तहाँ मणि कोहु जाउ जोईसरु णयणहि मुणिउँ साउ । णयणहिँ जाणिज्जइ पुन्च-वहरु जं जेण जासु किउ आसि चिरु । णयणहि जाणिज्जइ सत्तु मित्तु सुहि बंधउ जो जसु आसि पुत्तु । घत्ता-- पियहाँ समागमि विहसहि णयण णेह-णिबद्ध । मउलिज्जइँ अप्पिय दिइ रुहिरारुणइँ सकुइँ ॥ ९ ॥ 10 कोहाणल-जाल-पलीविएण हउ णिसिय-खुरप्पें साहु तेण । जह जह मुणि-देहहि रुहिरु एइ तह तह मिच्छाहिउ बाण देइ । रोमंचु कुरंगहाँ अंगि जाउ जं आउ मुणिहें रुहिरहँ णिहाउ । परमेसरो वि अगणंतु पीड मेल्लंतु सयल संसार-कीड । गउ सरणु अरहै-लोगोत्तमाहु सम-चित्तें सयलु गणंतु साहु। अणु महइ सरीरहाँ तणउ दाहु किउ अण्ण-जम्मि मइँ असुह-कम्मु तहाँ फलेण एहु संपण्णु जम्मु । महु केण वि सहु ण वि रोसु तोसु अणुहवइ जीउ जो कियउ दोसु । घत्ता-जं अण्ण-भवंतरि अज्जिउ कम्म-महाफल दुसहउ । तं हउँ ऐएण सरीरें अज्जु असेसु वि विसहउँ ॥ १० ॥ (९) १ क- हे । २ क- हे । ३ क- चा । ४ क- हो । ५ क- हि । ६ क- हे । ७क- "हे । (१०) १ क- राह । २ क- 'हो । ३ क- को । ४क- अण भ । ५ क- एण । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001444
Book TitlePasanahchariyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmkirti
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year1965
Total Pages538
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Literature, & Story
File Size12 MB
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