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पउमकित्तिविरइउ
[३, १५, ११५ पॅक्खिवि आवंतउ गयवरिंदु थिउ झाणे भडारउ मुणिवरिंदु । मणि सरण चयारि वि संभरंतु इह अट्ट-रुद्द खल परिहरंतु । थिउ एम भडारउ साहु जाम आसण्णउ गयवरु आउ ताम । उन्भेवि महाकरु उब्भरिउ
ण वि चेयइ कि पि वि मय-भरिउ । पैक्खेवि मुणिंदहों देह-कंति
चिंतणहँ लग्गु खणु ऍकु दंति । इहु मुणिवरु मइँ तव-तेय-रासि जम्मंतरि अण्णहाँ दि आसि । मणि एम जाम चिंतइ गइंदु बुल्लणहँ लग्गु ताम हि मुणिंदु । अहाँ गयवर हउँ अरविंदु राउ पोयणपुर-सामिय ऍत्थु आउ। मरुभूइ तुहुँ मि उप्पण्णु हत्थि विहिवसेंण ऍत्थु संप॑ण्णु सत्थि । मइँ पुचि णिवारिउ आसि तुहुँ अवगणिवि गउ संपत्तु दुहु। गयवर ण वि अन्ज वि जाइ किं पि महु तणउ वयणु करि जं पि तं पि। घत्ता- लइ सम्मत्तु अणुव्यय भावि जिणिदहँ सासणु ।
जे गय पावहि परम-सुहु चउ-गइ-पाव-पणासणु ॥ १५॥
तं वयणु सुणिवि करि असणिघोस् उड्डोविवि कर-यलु मुइवि रोसु । मुणिवरहों पयहँ गयवरु णिसण्णु मेल्लंतु अंसु रोवइ विसण्णु । आसासिउ गयवरु मुणिवरेण जिण-वयण-सुहासि-ओसहेण । उठेवि साहु गयवरण णविउ जं तेण कहिउ तं सयलु लइउ । तउ तवणहि लग्गउ गयवरिंदु सम्मेय-गिरिहे गउ मुणिवरिंदु । तहि सासय-सिव-सुह-पय-गयाहँ णिव्याणइ वंदइ जिणवराहँ । थिउ सुक्क झाणे मुणि खविय-मोहु संकप्प-कप्प-धुअ-कम्म-देहु । उप्पाऍवि केवलु जग-पयासु किउ अविचल सिव-मुह-पइ णिवासु । घत्ता- अरविंदों चरिउ पवित्तु जो जणु महिहि मुणेसह । सो पउमालिंगिय-देहउ सयल-सुहइँ अणुहुंजई ॥ १६ ॥
॥ संधिः ॥३॥ (१५) १ क- 8 । २ क- "हे । ३ क- 'त्य । ४ क- 'पुण्ण । ५ क- २ । ६ क- °णेद। (१६) १ क- मिवि । २ -क उ । ३ क- हरा । ४ क- 'हे । ५ क- य ।
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