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पासणाहचरिउ
१३
णिसुविधम् मुणिवरण कहिउ बॉल हउँ सामिय पात्र कम्मु अज्ज विविस-इंदिय-सुक्ख-लुडु
- धम्म अज्जवि अक्खु देव मुणिवरण विभणिउ एम होउ अरहंतु भडारउ विगय-लेउ णिग्गंथ-धम्म-गुरु-सयल-साहुबारस - विहु सावय- विविह-धम्मु ति-काल-ण्हवण- पुज्जा-विहाणु
घत्ता - तुहुँ गुरु सक्खि परग्गहु लयउ अणुब्त्रय - भारु । मइँ परमेसर मुणिवरेण णेवउँ जीविय पारु ॥ १३॥
१४
ऍत्यंतरि गयंवरु असणिघोसु तं मणहरु सुहरु सलिले-पवरु रतुप्पैल-णीलुप्पलैहि छष्णु aft सरवर लीलइ पइसरेवि जल-कीड करिवि णीसरिउ सरहों पच्छे सत्थु सो असणिघोसु raft आवंता गरुव-देह
- जूह भी दह-दिहिहि " ह काहि तिहि देवि विज्झ तंदुल -गुण-सकर गय गिलंति
पणत्रिवि सत्याहि सत्थ-सहिउ । तउ करिवि ण सक्कमि - धम्मु । सपरिग्गहु अज्जु वि हउँ स-कुछु | freवासि जिनिंदा करमि सेव । तेण वि पडिवण्णउ सर्यलु लोउ । इह परते वि अम्ह देउ । दह-लक्खण-धम्मो उवरि गाहु । पालेव्वउँ अम्महँ एत्थ जम्मु । पामि जाम जीवावसाणु ।
सहु जूहें आयउ तं परमु । afr' अस्थि महासरु गरुउ गहिरु । सारस-बग-कोलाहल-रवण्णु ।
सहु कॅरिणिहि णिम्मल सलिलु लेवि । थिउ मग्गे सत्थु त गयवरहो । हुजूर्हे धावितं पसु । गुलुगुलुगुलंत णं कसण - मेह | णं गरुड भएँ अहिवर अहि । विक्aरिउ महिहि धणु कणु असज्झ । महु-खीर-सप्पिसरह पियति ।
घत्ता - दसणग्गेहि चलण-पहारंहि चूरिवि सत्थु असे । करिणि-सहिउ जूहाहिउ गउ मुणिवरहों परसु ॥ १४ ॥
(१३) १ क- 'ल-लोइ । २ क- वि ।
(१४) १ क- लु । २ क- 'ण । ३ क- प्पल । ४ क- 'हे । ५ करें । ६ क- हे । ७, ८ क- 'हे । ९, १० क - 'हे |
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