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________________ ६८] प्राकृतपैंगलम् [१.१३८ [नंदा लक्षण] पढम तीअ पंचम पअह मत्त होइ दह चारि । बीअ चउत्थ एगारहहिँ णंद भणिञ्ज विआरि ॥१३८॥ १३८. नंदा का लक्षण प्रथम, तृतीय तथा पंचम चरण में १४ मात्रा हों, द्वितीय तथा चतुर्थ में ग्यारह मात्रा हों, यह भेद विचार कर नंदा कहा जाता है। टिप्पणी-भणिज्ज-कर्मवाच्य रूप का शुद्ध प्रत्यय हीन रूप /भण+इज्ज (कर्मवाच्य)+० । [मोहिनी लक्षण] पढम तीअ पंचम पअह व दह मत्ता जासु । बीअ चउत्थ एगारहहिँ तं मोहिणी मुणिआसु ॥१३९॥ १३९. मोहिनी लक्षण जिसके प्रथम, तृतीय तथा पंचम चरण में १९ मात्रा हों, द्वितीय तथा चतुर्थ में ११ मात्रा हों, उसे मोहिनी नामक भेद समझो। टिप्पणी-तं-< तां । मुणिआसु-(जानीत) आज्ञा म० पु० ब० व० । [चारुसेना लक्षण] पढम तीअ पंचम पअह मत्त पण्णरह जासु । बीअ चउत्थ एआरहहिँ चारुसेणि मुणिआसु ॥१४०॥ १४०. जिसके प्रथम, तृतीय तथा पंचम चरण में पन्द्रह मात्रा हों, द्वितीय तथा चतुर्थ में ग्यारह मात्रा हों, उसे चारुसेना समझो। [भद्रा लक्षण] पढम तीअ पंचम पअह मत्ता दहपंचाइ । बीअ चउत्थे बारहहिँ भद्द णाम कहिआइ ॥१४१॥ १४१. भद्रा लक्षण : प्रथम, तृतीय तथा पंचम चरण में दस और पाँच (पन्द्रह) मात्रा हों, द्वितीय तथा चतुर्थ चरण में बारह मात्रा हों, उसका भद्रा नाम कहा गया है। टि०-कहिआइ-2 कथितं; वस्तुतः यह 'कहिअ' का विकृत रूप है। 'दहपंचाइ' की तुक मिलाने के लिए इसे 'कहिआई' बना दिया है। (राजसेना लक्षण] पढम तीअ पंचम पअह मत्त पण्णरह पजत्थ । सम बारह अरु एक्कदह राअसेणु भणु तत्थ ॥१४२॥ १४२. राजसेना लक्षण: जहाँ प्रथम, तृतीय तथा पंचम चरण में पन्द्रह मात्रा हों, सम (द्वितीय तथा चतुर्थ) चरणों में क्रमशः बारह तथा ग्यारह मात्रा हों, वहाँ राजसेना भेद कहो । १३८ तीअ-C. तिअ) एगारहहिं-C.एगारहेहि) १३९. णव-C. नव) एगारहहिं-A.C एआरहहिं मुणिआमु-C. मुणिअसु। १४०. पण्णरह-C. पणरह । मुणिआसु-C. भणु तासु । C. प्रतौ एतच्छंदो भद्रालक्षणानन्तरं प्राप्यते । १४१. बारहहि-C. वारहहि। णाम-C. नाम । C. प्रतौ एतच्छंदः चारुसेनालक्षणपूर्वं प्राप्यते । १४२. जत्थ-तत्थ-C. जत्थ, तत्थ; K. जासु, तासु । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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