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६६] प्राकृतपैंगलम्
[१.१३३ काई-दे०६ १०६; (अर्थ 'क्यों') । [अथ रड्डा छंद]
पढम विरमइ मत्त दह पंच, पअ बीअ बारह ठवहु, तीअ ठाइ दहपंच जाणहु चारिम एग्गारहहिँ पंचमे हि दह पंच आणहु
अट्ठा सट्ठी पूरवहु, अग्गे दोहा देहु ।
राअसेण सुपसिद्ध इअ रड्ड भणिज्जइ एहु ॥१३३॥ [राजसेना] १३३. रड्डा छंद:
प्रथम चरण पन्द्रह मात्रा पर समाप्त होता है, द्वितीय चरण में बारह मात्रा स्थापित करो, तीसरे स्थान (चरण) पर पन्द्रह मात्रा जानो, चौथे चरण में ग्यारह मात्रा तथा पाँचवें में पन्द्रह मात्रा लाओ । इस तरह ६८ मात्रा पूरी करो तथा उनके आगे दोहा दो । यह प्रसिद्ध छंद राजसेन रड्डा कहा जाता है।
टिप्पणी-जाणहु ( जाण+हु), आणहु (Vआण-हु), देहु (Vद+हु), आज्ञा म० पु० ब० व० रूप । भणिज्जइ-< भण्यते [Vभण+इज्ज (कर्मवाच्य)+इ]; कर्मवाच्य रूप ।।
अट्ठा सट्ठी-< अष्टषष्ठि (दे० पिशेल ४४६, अर्धमा० जैनमहा० अढसर्द्वि, अट्ठसहूिँ । तु० हिंदी रा० अड़सठ, (उ० °सट) ।
विसम तिकल संठवहु तिण्णि पाइक्क करहु लइ,
अंत णरिंद कि विप्प पढम बे मत्त अवर पड़ । समपअ तिअ पाइक्क सव्वलहु अंत विसज्जहु
चउठा चरण विचारि एक्क लहु कट्ठिअ लिज्जहु ॥ इम पंच पाअ उट्टवण कइ वत्थु णाम पिंगल कुणइ ।
ठवि दोसहीण दोहा चरण राअसेण रड्डह भणइ ॥१३४॥ १३४. विषम (प्रथम, तृतीय तथा पंचम) चरणों के आरंभ में त्रिकल, फिर तीन चतुष्कल (पदाति-पाइक्क) करो, प्रथम चरण में अंत में जगण (नरेंद्र, मध्यगुरु चतुष्कल) या चार लघु (विप्र, सर्वलघु चतुष्कल) करो । अन्य चरणों में अर्थात् तृतीय और पंचम चरण में दो मात्रा (दो लघु) अंत में करो । सम चरणों में प्रथम तीन चतुष्कल तथा अंत में सर्वलघु की रचना करो, तथा चौथे चरण में विचार कर एक लघु काट लो। इस प्रकार रड्डा छंद के पाँच चरणों की उद्वर्तनी कर के, दोषहीन दोहा को अंत में स्थापित करो। पिंगल इसका नाम वस्तु करते हैं, तथा इसे राजसेन रड्डा कहते हैं।
टिप्पणी-विसज्जहु (विसर्जयत), आज्ञा म० पु० ब० व० । लिज्जहु-विधि म० पु० ब० व० ।
कट्टिअ, विचारि, कइ, ठवि, ये सभी पूर्वकालिक क्रिया रूप है, इनमें प्रथम में 'इअ' प्रत्यय है, शेष में 'इ', जो 'इअ' का ही समाहृत रूप है। १३३. विरमइ-N. विरइ । मत्त दह-A. मत्त हद, C. दह । पंचमे हि-C. पंचमे उ । अट्ठा सट्ठी-B. एम अट्ठ सट्ठि, C. अट्ठा सठ्ठि । सट्ठी-0. सट्ठा । पूरवहु-B. पुरह, 0. संठवहु । देहु-B. देउ । राअसेण-B. राजसेण; C. राअसेन । सुपसिद्ध-A. सपसिद्ध । इअ-0. एहु । रडु-B. रंड । भणिज्जइ-C. भणिज्जै । १३४. अंत णरिंद-A. B. °णरेंदु, C. पढम नरेंद, O. °णरेंद । पढमC. अंत । पइ-C. पअ । तिअ-C. विअ । चउठा-A. चौत्था, B. चउ, C. चोत्था । इम-C. O. एम । कुणइ-C. कहई। राअसेण-C. रायसेण, O. राअसेणि । रड्ड-A. रढउ, B. रड्डुहु, C. रंडउ । १३४-C. १३७ ।
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