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________________ अभिधान (शब्दकोष) पराअण (परायण) १.२०७ | पव्वई (पार्वती) १.८१ | Vपिअ (पिब्) पिअइ (पिबति) (वर्त० पराहिण (पराधीन) २.१३६ पवित्त (पवित्र) २.९५ प्र० ए०) १.८७, पिआमो २.११५, परिकर १.१०४ घरबार, स्त्री (लक्ष्यार्थ) । Vपसर (प्र+Vस) फैलना, पसर (प्रसरन्ति) पिज्जए (पीयते) २.१०७ परिकरु १.१८० १.७६, पसरइ २.२०३, पसरंत | पिअ (प्रिय) १.१०८, १.१४९, २.७९, परिघट्टणसह (परिघट्टनसह) १.७४ १.२१५, पसरि १.१९० २.९९ अनेकशः परिपूज (परि-पूज) पूजना परिपूजउ २.१५५ | पसण्ण (प्रसन्न) २.३२, २.६९ | पिअला (प्रिय+ल:) १.१६६, २.९७ प्यारा "परिधम्म (परिधर्मः) १.११३ काव्य छंद | पसाअ (प्रसाद) १.१०८, २.११५ प्रसन्नता | पिअर १.१४४ पितर, पूर्वज, मातापिता का भेद पसु (पशु) १.७९ पिअरि (पीत+र+ई) १.१६६ पीली परिफुल्लिअ (परिफुल्लित) २.१४४ पह (पथ) १.१९० मार्ग, रास्ता पिआरी (प्रिया) २.३६ परि-तज्ज, (परि +Vत्यज्) छोड़ना, परितज्जि | पहार (प्रहार) २.१६९ पिआ (प्रिया) पिए (प्रिये, संबो०) २.१३ २.९१ पहिर् (परि-Vघा) १.९८ पहना, पहिरिअ | पिक १.१३२ कोमल परि-दे (परि+दा) देना, परिदिज्जसु १.५५ (परि+हित) भूत० कर्म० कृदंत पिट्ट पिट्टइ १.१८०, १.१९० पिटुंत परि पल (परि+Vपत्) गिरना, परिपलिअ | पहिल्लिअ १.२०५ पहला १.१९८, पीटना १.१३५ पहु (प्रभु) १.१६३ पिट्ठ (पृष्ठ) १.९२ हि० पीठ, कथ्य राज० परि १.१३५ परिपाटी, पद्धति पाअ (पाद) १.१४७, २.८८, २.१२२ आदि; पूठ परिणअ (परिणत) २.१०९ पाइँ १.१२५, पाएण १.८४, २.५०, Vपीड पीडइ १.१४४, पीडिज्जइ (पीड्यते) परि-Vल्हस (सं० परि ह्रस्) खिसकना, छंद का चरण, पैर १.३७. पीडित करना, दुःख देना गिरना, परिल्हसइ (वर्त० प्र० पीण (पीन) १.१७८ पुष्ट ए०) १.४ पाआ (प्राप्त) १.१३० पाया पुच्छल १.४९ पिछला परि-Vठा रखना, परिठवु १.२०२ परिठवहु । पाइक्क १.१३४ पायक, पैदल पुच्छल (पृष्ट) १.४० पूछा हुआ (परिस्थापयत) (णिजंत म० पु० ब० *पाइत्ता २.८० छंद का नाम पुत्त (पुत्र) ब० १.९२ पुत्ते (पुत्रैः), करण व०) १.१४, परिट्टिअ २.१०२ Vपा पाउ (पातु) २.१४ रक्षा करना ब० पुत्तो २.२८, पुत्तउ २.६१, बेटा, परि-हर (परि +ह) हटाना, परिहर (आज्ञा० | पाउस (प्रावृष्) १.१८८, २.३८, २.१३६ तु० पूत म० पु० ए० व०) १.६७, २.१०३, वर्षाऋतु पुण (पुनः) १.४६, २.१४९ फिर परिहरु २.१०२, १.२६९, परिहरिअ पाणि २.७७ हाथ पुणवंत (पुण्यवान्) पुणवंतउ २.६१, पुणवंता (परिहत्य) पूर्वका० रूप १.८७, | पाप २.१०३ २.९२, १.१७१ परिहरि १.१५१ पापगणो (पापगण:) १.१६, पंचकल गण | पुणु (पुनः) १.३७, १.७९ फिर परे (सं० परे) १.५ दूसरे के एक भेद का नाम (III) पुणवि (पुनरपि) १.९६ पिल ( पत्) गिरना, पल १.१८०, | Vपाव (सं०/प्राप) पावइ (वर्त्त० प्र० ए०) | पुणो (पुनः) २.१४५ फिर २.१६१, पलइ १.१८९, पलंति १.४८, पावउँ १.१३०, पाविज्जइ | Vपुर (सं० पूर-) भरना, पूरा करना, पुरहु २.१२९, पलंत २.१६८, पलंतआ १.१४१, पाविज्जे १.११९, पावंता (आ० म० ब०) १.४७ २.५९, पलंता २.२००, पलिअ २.६७, पावा २.१०१, पावल | पुर १.१९५ त्रिपुरासुर । २.१५२, पलिआ २.८२, (सं+पल) १.४५, पाना पुर (पुरः) १.१४७ आगे संपलइ १.३६, पले १.१४५ पास (पार्श्व) २.१२६ पुव्व (पूर्व) १.३९, २.१३३ पल पलटना, लौटना, पलट्टए (वर्त० प्र० पासाण (पाषाण) १.७९ पत्थर पुव्वद्ध (पूर्वार्ध) १.५२, १.५७ पूर्वार्ध ए०) १.५१, पल्लट्टि २.१३२, पिंग २.१०५ पीला पुहवी (पृथ्वी) १.३४ पलट्टि १.५१ | पिंगल १.१ तथा अनेकशः, छन्दःशास्त्र के | Vपूर पूरवहु (Vपूर-) १.१३३, पूरंति पलाउ (पलायितः) १.१२६ भग गया प्रवर्तक मुनि पिंगल १.११९, पूरल १.१७४, पूरआ *पवंगम (प्लवंगम) १.१८७ वर्णिक छन्द | Vापध (आप + Vधा) पिधउ (उत्तम पु० २.११०, भरना, पूरा करना का नाम ए०) १.१०६, पहनना Vपेक्ख (प्र+Vईक्ष) पेक्खामि (प्रेक्षामि) पवण (पवन) १.१३५ वायु, हवा | पिंधण (पिधान) १.९८, १.१७६, १.१०९ | (वर्त० उ० ए०) १.६९ पेक्खए पव्वअ (पर्वत) १.१०६, १.१४५, २.५९, वस्त्र १.१९९. पेक्खहि १.६७, पेक्खिआ पहाड़ | पि (अपि) १.१६४ भी १.११३, पेक्खीआ २.११३, पेक्खि For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org Jain Education International
SR No.001440
Book TitlePrakritpaingalam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Text Society Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages690
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi, Apbhramsa
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size18 MB
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