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१६४] प्राकृतपैंगलम्
[२.१९० क्रिया के तिङन्त रूप है।
ठाउः-स्थापिताः, 'उ' कर्मवाच्य भूतकालिक कृदंत रूप दे० भूमिका । विआरे-< विदारितं (रिपुवक्षः), धारे < धृता (तनुः) तप्पे-< तापितं, कप्पे < कल्पितं (कल्पितानि, मुखानि) । पअले-< प्रकटिता, विअले < विदलिताः ।
ये सभी कर्मवाच्य भूतकालिक कृदंत के रूप हैं, जिनमें *ए चिह्न पाया जाता है, संभवत: यह कर्ता ब० व० के विकारी रूपवाले 'ए चिह्न से संबद्ध है।
कुल खत्तिअ-इसकी व्युत्पत्ति दो तरह से मानी जा सकती है। या तो इसे (१) क्षत्रियकुलं, मानकर अपभ्रंश समास में पूर्वनिपात वाले नियम की अवहेलना कहा जा सकता है, जो अपभ्रंश की खास विशेषता है, या (२) कुलं क्षत्रियाणां, मानकर 'खत्तिअ' का संबंध कारक ब० व० में शून्य-विभक्ति (शुद्ध प्रातिपदिक) वाला प्रयोग माना जा सकता है। संस्कृत टीकाकारों ने दोनों तरह का अनुवाद किया है। मैं द्वितीय व्युत्पत्ति के पक्ष में हूँ। चतुर्विंशत्यक्षरप्रस्तार, दुर्मिला छंदः
दुमिलाइ पआसउ वण्ण विसेसहु दीस फर्णिदह चारुगणा,
भणु मत्त बतीसह जाणह सेसह अट्ठह ठाम ठई सगणा। गण अण्ण ण दिज्जइ कित्ति लहिज्जइ लग्गइ दोस अणेअ जही,
कइ तिण्णि विरामहि पाअह पाअहता दह अट्ठ चउद्दहही ॥२०८॥ २०८. फणीन्द्र पिंगल दुर्मिला को प्रकाशित करते हैं, यहाँ विशिष्ट वर्ण दिखाई देते हैं, सुंदर गणवाली ३२ मात्रा जानो, तथा आठ स्थान पर सगण होते हैं। इसमें अन्य गण नहीं दिया जाता, प्रत्येक चरण में १०, ८ तथा १४ मात्रा पर कीर्ति प्राप्त करे, (ऐसा न करने पर) अनेक दोष लगते हैं।
(दुर्मिला :-15, |s, Is, Is, ||s, ॥S, IIs, us = २४ वर्ण, ३२ मात्रा; १० मात्रा, ८ मात्रा तथा १३ मात्रा पर यति ) ।
टिप्पणी-दीस < दीसइ < दृश्यते, कर्मवाच्य क्रिया के मूल रूप (स्टेम) का प्र० पु० ए० व० में प्रयोग । जहा,
पहु दिज्जिअ वज्जअ सिज्जिअ टोप्परु कंकण बाहु किरीट सिरे,
पइ कण्णहि कुंडल जं मंडल ठाविअ हार फरंत उरे । पइ अंगुलि मुद्दरि हीरहि सुंदरि कंचणविज्जु सुमज्झ तणू,
तसु तूणउ सुंदर किज्जिअ मंदर ठावह बाणह सेस धणू ॥२०९॥ [दुर्मिला] २०८. पआस-B. पआसइ, C. पआसहि, N. पआसहु । वण्ण-0. विण्ण । विसेउह-B. विसेसह, C. विसेसहि । दीस-C. वीस । जाणह-C.O. जाणिअ । ठाम-C. ठाइ । तिण्णि-C. तीणि । विराम हि-C. विसामहि । पाअह पाअह-C. पाअहि पाअहि । चउद्दह ही-C. चउद्दह री, N. चउद्दह मत्त सही । २०८-C. २११, N. २७७ । २०९. वज्जअ-0. रज्जअ । सिज्जिअN. सज्जिअ । फुरंत-N. लुरत्त । अंगुलि-0. अंगुरि । मुद्दरि-N. मुंदरि, 0. सुंदरि । सुंदरि-0. मुंदरि । विज्जु-0. रज्जु । सुमज्झ-N. सुसज्ज । तूणउ-N. दूणउ । किज्जिअ....बाणह-N. तावअ णाअअ तं खण सुन्दर ।
C. प्रतौ एतत्पद्यस्य निम्नं पाठांतरं प्राप्यते ।। पहु दिज्जअ टोप्पर मत्थअ कंकण बाहु किरीट सिरे, पहि कण्णहि कुंडल लंबइ गंडल वाहअ हार तुरंत ठुरे ।
पअंगुलि सुंदरि हीरहि मुंदरि कंचणरज्जु ससज्ज तणू, तसु तूणउ सुन्दरि णावअ पावहि तं खणु सुंदरि सेस धणू ॥ २०९.-C. २१२, N. २७८ ।
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