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२.५०] वर्णवृत्तम्
[१११ मंथान छन्द:
कामावआरेण अद्धेण पाएण ।
मत्ता दहा सुद्ध मंथाण सो बुद्ध ॥५०॥ ५०. जहाँ कामावतार नामक छंद (चार तगणों का द्वादशाक्षर छंद) का आधा एक चरण में हो (अर्थात् दो तगण तथा छः अक्षर हों), शुद्ध दस मात्रा हों, उसे मंथान (छन्द) समझो ।
टिप्पणी-बुद्ध-< बुध्यस्व, अनुज्ञा म० पु० ए० व० ।
जहा,
राआ जहा लुद्ध पंडीअ सो मुद्ध।
कित्ती करे रक्ख सो वाद उप्पक्ख ॥५१॥ [मंथाण=मंथान] ५१. उदाहरण:
जहाँ राजा लोभी तथा पण्डित मूर्ख हो, वहाँ अपनी कीर्ति की रक्षा करो (कीर्ति को हाथ में रखो) तथा वहाँ के वाद (शास्त्रार्थादि) की उपेक्षा करो ।
टिप्पणी-जहा-< यत्र, पंडीअ < पंडितः > पंडिओ > पंडिउ > पंडिअ । (यहाँ 'इ' का दीर्धीकरण पाया जाता
लुद्ध-< लुब्धः, मुद्ध < मुग्धः । कित्ती-< कीतिः । रक्ख, उपेक्ख-< रक्ष, उपेक्षस्व, अनुज्ञा म० पु० ए० व० । शंखनारी छंदः
खडावण्णबद्धो भुअंगापअद्धो ।
पआ पाअ चारी कही संखणारी ॥५२॥ ५२. जहाँ भुजंगप्रयात छंद के चरण के आधे छ: वर्ण प्रत्येक चरण में प्राप्त हों ( भुजंगप्रयात में प्रत्येक पाद में चार यगण होते हैं, अतः जहाँ दो यगण हों), तथा सम्पूर्ण छन्द में चार चरण हो, वह शंखनारी (छंद) कही गई है। (155155)
टिप्पणी-खडा-अर्धतत्सम रूप । तद्भव रूप 'छ'-छह' आदि होते हैं। वस्तुतः यह संस्कृत 'षट् के अर्धतत्सम रूप 'खड' का दीर्धीकृत रूप है। इस सम्बन्ध में इस बात का संकेत कर दिया जाय कि परवर्ती हिन्दी कविता में तत्सम 'ष' का 'ख' के रूप में जो उच्चारण पाया जाता है, उसका बीज प्रा० पैं० के इस उदाहरण में देखा जा सकता है।
“पअद्धो < पदार्धः,परवर्ती संयुक्ताक्षर के पूर्व के दीर्घस्वर का ह्रस्वीकरण ।
पआ-< प्राप्त; : कुछ टीकाकार इसकी व्याख्या भी 'पादे' करते हैं, किन्तु मेरी समझ में यह 'प्राप्ता' ही होनी चाहिए । प्राप्ताः > पाआ (तु० हि० 'पाया' जो वस्तुत: 'पाआ' का य-श्रुतियुक्त रूप है)। इसी का छन्दोनिर्वाहार्थ 'पआ' रूप बन गया है।
कही-< कथिता > कहिआ > कहिअ > कही । (तु० हि० 'कही') कर्मवाच्य भूतकालिक कृदन्त का स्त्रीलिंग रूप ।
जहा,
गुणा जस्स सुद्धा वहू रूअमुद्धा ।
घरे वित्त जग्गा मही तासु सग्गा ॥५३॥ [संखणारी शंखनारी] ५०. कामावआरेण-A. B. कामावआरस्स । बुद्ध-A. बुझ्झ । ५१. राआ-B. राजा । पंडीअ-C.. पंडित्त । रक्ख-C. थप्प। उप्पक्ख-B. उपेक्ख । ५२. बद्धो-C. "सुद्धा, 0. 'बद्धा । भुअंगा-A. भुजंगा', C.O. 'पअद्धा । 0.५२. 0.५१ । ५३. जग्गा-C. जग्गे तासु-A. तासू । सग्गा-C. सग्गो ।
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