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प्राकृतपैंगलम्
[ १.२०६
मदनगृह छंद में आरम्भ में दो लघु तथा अंत में एक गुरु का ही बंधन है, शेष मध्य के गण किसी भी तरह से चतुर्मात्रिक गण होंगे । इस प्रकार मदनगृह की उद्वर्तनी ऐसे मानी जायगी ।
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मदनगृह = २ लघु ९ चतुर्मात्रिक १ गुरु
+
= २+३६+२ = ४० मात्रा प्रति चरण ।
कुल मात्रा ४०x४ = १६० ।
टिo-भणमि -< भणामि > प्रा० भणामि ।
पिशेल ने बताया है कि प्राकृत का ' - आमि' अपभ्रंश तथा वैभाषिक प्राकृतों में ' - अमि' पाया जाता है । (दे० ग्रामातीक देर प्राकृत स्प्राखेन, ४५४, पृ. ३११) । तु० जाणामि (= जानामि), लिहमि (= लिखामि ), सहमि ( = सहे), हसमि (= हसामि), अप० के लिए, दे० कड्डमि (=कर्षामि ) (हेम० ४.३८५); पावमि (= प्राप्नोमि ) |
वित्त सिर ठावि कहु वलआ अंत ठवेहु ।
णव चउकल गण मज्झ धरि मअणहराइँ करेहु ॥ २०६ ॥
I
२०६. सिर पर (आरम्भ में) दो मात्रा (लघु) स्थापित कर अंत में वलय (गुरु) स्थापित करो । मध्य में नौ चतुष्कलगणों को धर कर मदनगृह छंद को करो ।
टि० - ठावि, धरि-पूर्वकालिक क्रिया रूप । अणहराइँ - मदनगृहाणि (मदनगृहं ) ।
जहा,
जणि कंस विणासिअ कित्ति पआसिअ मुट्ठि अरिट्ठि विणास करे गिरि हत्थ धरे, जमलज्जुण भंजिअ पअभर गंजिअ कालिअ कुल संहार करे जस भुअण भरे । चाणूर विहंडिअ णिअकुल मंडिअ राहामुह महुपाण करे जिमि भमरवरे, अण विप्पपराअण चित्तह चिंतिअ देउ वरा भअभीअहरा ॥२०७॥
सो तुम्ह
२०७. उदाहरण:
जिन्होंने कंस को मारा, कीर्ति प्रकाशित की, मुष्टिक तथा अरिष्ट का नाश किया और पर्वत को हाथ में धारण किया, जिन्होंने यमलार्जुन को तोड़ा, पैरों के बोझ से कालिय नाग का दर्प चूर्ण किया तथा उसके कुल का संहार किया, तथा यश से भुवन भर दिया, जिन्होंने चाणूर का खंडन किया, अपने कुल का मंडन किया, तथा भ्रमर की भाँति राधा के मुख का मधुपान किया, वे भयभीति का अपहरण करने वाले विप्रपरायण नारायण तुम्हें चित्त का चिंतित वर प्रदान करें।
टिप्पणी- भमरवरे - < भ्रमरवरेण; करण कारक ए० व० ।
चित्तह चिंतिअ - चित्तस्य चितितं; 'ह' सम्बन्ध कारक ए० व० का चिह्न ।
२०६. ठावि-N. ठाउ । कहु- A. कई । णव-0. णउ । चडकल - A. चोकल । मअणहराइँ- O. मअणहराइ । करेहु - B. कहेहु । एतदनन्तरं केवलं निर्णयसागरसंस्करणे कलकत्तासंस्करणस्य D प्रतौ च एतत्पद्यं प्राप्यते ।
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चउसंधिहि चालीस कल दह गण तत्थ मुणेहु ।
अहर वज्जिअ हे सुपिअ मअणहराइँ कुणेहु ॥ २०७॥
२०७. जिणि-B. जिण, O. जह्नि । मुट्ठि अरिट्ठि - A. अट्ठिअ मुठ्ठि करु, C. रिट्टि अ मुठ्ठि विणास करु, N. मुठ्ठि अट्ठि विणास करु । करे - O. करू । हत्थ N. हत्त, O तोलि। धरे - A. C. N. धरु, O. धरू । जस भुअण-B. जसु भुअण, N. जस भुवन। भरेN. भरें। करे ज... -0. करू जसे भुअण भरू । कालिअ ... भरे - C. राहामुह महुपाण करे जिमि भमरवरे । राहामुह... भमरवरेC. कालिअ कुल संहार करे जस भुअण करे। तुम्हO. तुम्म । णराअण- A. नरायण । O. णराएण। 'पराअण- O. 'पराएण। चित्तह चितिअ - B. चिअ मह चितिअ, N. चित्तहि । भअभी अहरा - B. भअ भीउ हरो, N. O भउभीतिहरा । २०७०. १९६ ।
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