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१.१९०] मात्रावृत्तम्
[८९ १८९. लीलावती छंद:
जिस छन्द में गुरु-लघु का कोई नियम न हो, न अक्षरों का ही नियम हो, जहाँ विषम तथा सम चरणों में पयोधर (जगण) पड़े, जहाँ कोई भी नियम (बंधन) न हो, तथा (यह छन्द वैसे ही है) जैसे चंचल तुरग दिशाओं और विदिशाओं में अगम्य और गम्य स्थल पर घूमता है; जहाँ पाँच चतुष्कल गण एक साथ (निरन्तर) पड़ें तथा अन्त में सुन्दर गण सगण हो; जो छंद अपनी लीला से सर्वत्र चलता है, तथा बत्तीस मात्रा पर विश्राम करता है (अर्थात् जहाँ प्रत्येक चरण में बत्तीस मात्रा होती हैं), वह लीलावती छंद है।
टिप्पणी-णिम्म-< नियमः > णिअम > णिम्म–'अ' वाले अक्षर का लोप तथा 'म्म' में छन्दोनिर्वाहार्य द्वित्व है। समं, गर्म, गणं, करं-में छन्दोनिर्वाहार्थ अनुस्वार का प्रयोग किया गया है। कहुँ-< क्वापि । पसर < प्रसरति, वर्तमानकालिक प्र० पु० ए० व० (पसरइ > पसर) । जहा, घर लग्गइ अग्गि जलइ धह धह कइ दिग मग णहपह अणल भरे,
सव दीस पसरि पाइक्क लुलइ धणि थणहर जहण दिआव करे । भअ लुक्किअ थक्किअ वइरि तरुणिजण भइरव भेरिअ सद्द पले,
महि लाट्टइ पट्टइ रिउसिर टुट्टइ जक्खण वीर हमीर चले ॥१९०॥ [लीलावती] १९०. उदाहरण
जिस समय वीर हमीर युद्ध यात्रा के लिए रवाना हुआ है (चला है), उस समय (शत्रु राजाओं के) घरों में आग लग गई है, वह धू-धू करके जलती है तथा दिशाओं का मार्ग और आकाशपथ आग से भर गया है; उसकी पदाति सेना सब ओर फैल गई है तथा उसके डर से भगती (लोटती) धनियों (रिपुरमणियों-धन्याओं) का स्तनभार जघन को टुकड़े टुकड़े (द्विधा) कर रहा है; वैरियों की तरुणियाँ भय से (वन में घूमती) थककर छिप गई हैं; भेरी का भैरव शब्द (सुनाई) पड़ रहा है; (शत्रु राजा भी) पृथ्वी पर गिरते हैं, सिर को पीटते हैं तथा उनके सिर टूट रहे हैं ।
टि०-दिआव करे-< द्विधा करोति ।। भरे-< भृतः; कर्मवाच्य भूतकालिक कृदंत रूप, (ब० व० रूप हि० भरे)। करे-< करोति; वर्तमानकालिक प्र० पु० ए० व० (करोति < *करति < करइ < करे) । वइरि-< वैरि (प्रा० भा० आ० ऐ > म० भा० आ 'अई') "दैत्यादिषु अइ" (प्रा० प्र० १.३६) । भइरव-2 भैरव (प्रा० भा० आ० ऐ >म० भा० आ "अइ")। पले-< पतिताः (Vपल+इ; पलिअ > पला (हि० पड़ा) का ब० व० (हि० पड़े) । चले-< चलिताः; (/चल+इ; चला का ब० व० तिर्यक् रूप चले) । [अथ हरिगीता छंदः] .
गण चारि पंचक्कल ठविज्जसु बीअ ठामहि छक्कलो,
___पअ पअह अंतहि गुरु करिज्जसु वण्णणेण सुसव्वलो ।
१९०. घर-A. तव, B. सव । लग्गइ-A. अरिघर, B. रिउवर । अग्गि-A. लगि । जलइ-B. लगइ, N. ज्जलइ । धह धहC. दह दिह । दिग... पह-N. णह पह दिगमग । दीस-B. N. देस, C. दिस । पसरि-C. पसरिअ । पाइक्क-N. पाईक्क । लुलइ-A. N. लुरइ । धणि-C. धण । दिआव-0. देखाउ । थण...करे-A. N. थण...दुहाव करे, C. पुण थण जुघण आव करे। भअ-0. भए । लुक्किअ थक्किअ-C. चक्किअ लुक्किअ । वइसि-A. B. N. वैरि । तरुणिजण-B. "गण, N. तरणिगण । भइरव-A. N. भेरव, B. भैरव, K. भइरब, O. भइरउ । भेरिअ-C. भेरी । पले-0. परे । लाटइ-B. N. लुट्टइ। रि-N. रउ । सिर-B. दिह । टुइ-N. तुट्टइ । जक्ख ण-A. जख, C. जं खण, ०. जखणे । हमीर-0. हंवीर । १९०-C. १८६ ।
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