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[३१]
के. आर. चन्द्र
आचाराङ्ग (मजैवि.) और शीलाङ्काचार्य ( आगमोदय) की
वृत्ति के पाठ
( मजैवि. संस्करण, सूत्र नं. )
(शीलाङ्कवृत्ति )
आचाराङ्ग
4.
सहसम्याएं कारविस्सं
णियागपडिवणे
णेव
विउट्टंति
णिकरणाए
णेव
मेहावी
जोकर
पडिलेहित्ता
अण्णेसि
दुगंछणाए
छंदोवणीया
अहासुतं
फरिसाई
मातण्णे
णिद्दं
णिधाय
हतपुव्वो
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प्रथम अध्ययन के पाठ
2
4
19
22
27
28
32
33
40
49
56
56
62
नवम अध्ययन के पाठ
254
262
273
281
299
302
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सहसम्मइयाए
कारवेसुं
नियागपडिवन्ने
नेव
विउट्टन्ति
निकरणाए
नेव
मेधावी
नोकरए
पडिलेहेत्ता
अन्नेसिं
दुगुञ्छणाए
छन्दोवणीया
अहासुयं
फरुसाई
मायन्त्रे
निहं
निधाय
हयपुव्वो
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