________________
प्रथम अध्ययन का पुनः सम्पादन [३२] पाठों की तुलना 5. महावीर जैन विद्यालय, बम्बई के संस्करण और श्री शांतिनाथ
ताड़पत्रीय जैन ज्ञानभंडार, खंभात की वि. सं. 1303 की
'खं. 1' प्रति के पाठों की तुलना मजैवि.
सूत्र नं. खं. 1 णो उववाइए (दो बार)
ओववातिए (दो बार) एगेसि
एकेसिं उववाइए
ओववादिए लोगंसि
लोकम्मि पुढविकम्मसमारंभेणं
पुढविकम्मसमारंभेण इहमेगेसिं णातं निरए णासमब्भे
नासमब्भे समारभमाणस्स
समारंभमाणस्स समारभेज्जा
समारंभिज्जा णेवऽण्णेहिं
नेवन्नेहि समारभावेज्जा
समारंभाविज्जा समारभंते
समारंभंते णियागपडिवण्णे
नियायपडिवण्णे णिक्खंतो
निक्खंतो णेव (दो बार)
नेव (दो बार) पवदमाणा
नायं नरए
पवयमाणा
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org