________________
प्रथम अध्ययन का पुन: सम्पादन आगमोदय समिति जैन विश्व भारती
[३०]
पाठों की तुलना मजैवि. सूत्र नं.
अन्नहा
अण्णहा
मण्णमाणे
मन्नमाणे समण्णागयआरियपन्ने परित्राय
समन्नागयआरियपण्णे
१४
कालने खेयन्ने
104
104
44
लोगसन्नं ক্তি अदिनादाणं अहोदिसाओ साहेति
परिणाय कालण्णे खेयण्णे लोगसण्णं छिन्नं अदिण्णादाणं अहे वा दिसाओ सहेति जाईपवुच्चइ ओववाइया
26
1, जैविभा. का पाठ स्वीकारने योग्य है।
.
24, 35
जाइपवुच्चई उक्वाइया
परितावंति समारभति(इ)
परितावेंति समारंभति (इ)
24, 35, 51
चुओ
2
चुए समुट्ठाय वियहित्ता
14, 25, 36
समुट्ठाए विजहित्तु
20
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org