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________________ संस्था के पुस्तकालय का मुझे पूरी स्वतंत्रता के साथ उपयोग करने दिया गया है। कतिपय हस्तप्रतों की फोटो अथवा जेरोक्स नकल उपलब्ध करवाने के लिए श्री लक्ष्मणभाई भोजक एवं स्वर्गीय श्री रमेशकुमार दलसुखभाई मालवणिया का भी मैं आभारी हूँ। इस प्रकार के कार्य में पूज्य मुनि श्री जंबूविजयजी (आगमों के संपादक) और पू. मुनि (अब आचार्यपद प्राप्त) श्री शीलचन्द्रविजयजी ने भी यथासंभव जो सहायता की हैं तदर्थ उनका भी बहुत आभारी हूँ। . इस ग्रंथ के प्रारंभ में महत्वपूर्ण दो शब्द लिखने के लिए विद्वद्वर्य पं. श्री दलसुखभाई मालवणिया, प्रो. डॉ. ए. एम. घाटगे, प्रो. डॉ. हरिवल्लभ भायाणी, पू. मुनि श्री विजयशीलचन्द्रविजयजी (अब सूरिजी), इत्यादि का भी मैं अत्यन्त आभारी हूँ। इस ग्रंथ के विषय में प्रकाशित होने के पूर्व इस संस्करण में रुचि लेकर जिन जिन विद्वानों ने अपने अपने बहमूल्य अभिप्राय व्यक्त किये हैं (जिन्हें इसी ग्रंथ में समाविष्ट किया गया हैं) उन सभी सज्जनों का मैं हृदयपूर्वक अभार मानता हूँ। इस प्रकाशन के प्रूफ संशोधन में कुमारी शोभना आर. शाह ने जो सहायता की है उसके लिए भी आभार प्रदर्शित करता हूँ । ____ अन्त में इस कार्य को सम्पादित करने में जिन जिन महानु वों ने मुझे प्रोत्साहित किया, उपयोगी सलाह-सूचन दिया, एवं अन्य प्रकार से जो भी सहायता की उन सब का मैं हृदय-पूर्वक आभार मानना अपना एक पवित्र कर्तव्य-धर्म समझता हूँ। सधन्यवाद, महावीर जयन्ती भवदीय चैत्र शुक्ल त्रयोदशी -के. आर. चन्द्र अहमदाबाद *दिनांक २०-४-९७ ★ सामान्य प्रजा की जानकारी एवं जैन समाज की जागृति के लिए दिनांक २७-४-९७ अहमदाबाद में इस ग्रंथ के विमोचन का जो कार्यक्रम आचार्य श्री विजयशीलचन्द्रसूरिजी ने आयोजित किया है उसके लिए उनका और सहयोग करनेवाली संस्थाओं का आभार मानते हुए मुझे हर्ष होता है । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001438
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra, Dalsukh Malvania
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1997
Total Pages364
LanguagePrakrit, Gujarati, Hindi, English
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Research
File Size14 MB
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