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के
आर, चन्द्र
10. पूर्वी क्षेत्र में तो उलटा णकार का नाम मिलता है । 11. णोनः [प्राकृत प्रकाश, 10:5, हेमचन्द्र- 8:4.306] 12. पिशल महोदय ने (225) एक मात्र सिंहदेवराणि को ऐसा कहते बताया
है कि मागधी में भी ण का न (वाग्भटाल कारटीका, 2.2 उदाहरण, तलुन =तरुण) होना चाहिए । परंतु पिशल महोदय इसे उनका मागधी में पैशाची का भ्रम होना बतलाते हैं । हमारे ख्याल से सिंहदेवमणि के इस विधान में अवश्य कुछ तथ्य होना चाहिए, क्योंकि अशोक के पूर्वी प्रदेश के शिलालेखों
से इसका अनुमोदन. हो रहा है। 13. A Comparative Dictionary of the Indo-Aryan Languages, R.L.
Turner, London, 1966 14. Prakrit Grammarians, Motilal Banarasidas, Delhi, 1972.
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