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________________ के. आर. चंद्र सूत्र-६.२८-युष्मद् के प्र० ब० व० के उदाहरणों में -तुझे आगदा, तुम्हे आगदा । सूत्र--६.३५-युष्मद् के पंचमी ए० व० के उदाहरणों में -- तत्तो आगदो, तुमाहि आगदो । सूत्र-६.३६---युष्मद् के पंचमी ब० व. के उदाहरण में - तुम्हासुतो आगदो। निपात के उदाहरण में-सूत्र-९.५-पेक्ख इर तेण हदो । [२] कुछ शब्दों में त का द होने का नियम सूत्र-२.७, ऋत्वादिषु तो दः उदू, रअदं, आअदो, णिव्वुदी, आउदी, संवुदी, सुइदी, आइदी, हदो, संजदो, विउदं, संजादो, संपदि और पडिबद्दी । (ऋतुः, रजतम् , आगतः, निवृतिः, आवृतिः, संवृति:, सुकृतिः, आकृतिः, हतः, संयतः, विवृतम् , संयातः, संप्रति और प्रतिपत्तिः ) सूत्र-६.३२-युष्मद् के षष्ठी एकवचन और तृतीया एकवचन का 'ते'='दे' होता है । ते को, दे कअं; ते धणं; दे धणं । [३] कुदन्त प्रत्यय और विभक्ति [अ] सूत्र-४.२२, तलत्वयोर्दात्तणी [ यह भाववाचक प्रत्यय दा और तण का सूत्र है । ] पीणदा, मूढदा (पीणत्तणं, मूढत्तण) ब] सर्वनामों में पंचमी ए० व० की विभक्ति सूत्र-६.९, तो दो ङसेः -कदो, जदो, तदो । सूत्र –६.१०,-तद ओश्चः-तत्तो, तदो । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001436
Book TitleParamparagat Prakrit Vyakarana ki Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorK R Chandra
PublisherPrakrit Jain Vidya Vikas Fund Ahmedabad
Publication Year1995
Total Pages162
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & Grammar
File Size7 MB
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